आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज ने कहा कि वर्तमान हालात में देश की युवा पीढ़ी को दिगभ्रमित होने से बचाना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। युवा पीढ़ी कर्तव्य भूलकर संत, महात्माओं के कथनों की उपेक्षा कर रही है। लोग आचार व विचार को तिलांजलि दे रहे हैं, धर्मग्रंथों के प्रति उपेक्षा का भाव बढ़ रहा है। हमारी संस्कृति प्राणी मात्र के संरक्षण की संस्कृति रही है, इसे समझना होगा अन्यथा कोरोना महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर नियन्त्रण संभव नहीं होगा। जैन धर्म किसी अन्य धर्म का विरोध नहीं करता, यह आदिकाल से था और अन्नतकाल तक रहेगा। मौजूदा हालात में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। पशु व पक्षी भी भूखे नहीं रहे, उनके दाने, पानी का भी प्रबंध करना समाज का दायित्व है।
आचार्य ने कहा कि सोमवार को भगवान महावीर का जन्मदिन है, इसे पंच कल्याण महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने सभी जैन मातवलम्बियों से भगवान महावीर का जन्म दिन घरों पर ही मनाएं। जीओ और जीने दो के सिद्धान्त का पालन करते हुए भगवान की पूजा-अर्चना करें। प्रात: 6 बजे सभी व्यक्तियों द्वारा अपने घरों की छतों पर जाकर 5 मिनिट तक थाली व ताली बजाने के साथ महावीर जयंती सम्बन्धी नारे लगाएंगे। घरों पर जैन ध्वज लगाए जाएंगे। समाज बंधु अपनी सुविधानुसार घर पर महावीर भगवान का भाव पूजन करेंगे। सायं 6.30 बजे घर में 7 दीपक जला कर अपने व आस-पास के घरों में रोशनी करेंगे तथा महावीर भगवान की आरती करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रमाद में हिंसा व सावधानी में अहिंसा है, इसे याद रखना होगा।