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जैन संत आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज से चर्चा, अहिंसा का मतलब कायरता नहीं, वीरता है

locationबारांPublished: Apr 05, 2020 08:19:00 pm

Submitted by:

Mahesh

प्रकृति से छेेड़छाड़ व जीव हिंसा से ही कोरोना जैसी आपदाएं, बारां बीते कुछ दिनों से शहर के शाहाबाद रोड स्थित जैन नसियां मंदिर में विहार कर रहे आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज ने कहा कि अहिंसा का मतलब कायरता नहीं वीरता है।

जैन संत आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज से चर्चा, अहिंसा का मतलब कायरता नहीं, वीरता है

जैन संत आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज से चर्चा, अहिंसा का मतलब कायरता नहीं, वीरता है

बारां बीते कुछ दिनों से शहर के शाहाबाद रोड स्थित जैन नसियां मंदिर में विहार कर रहे आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज ने कहा कि अहिंसा का मतलब कायरता नहीं वीरता है। सैकड़ों वर्ष पूर्व जैन धर्म के अन्तिम व २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने वर्तमान की प्राकृतिक आपदाओं को भांपते हुए ही जीओ और जीने दो का सिद्धान्त प्रतिपादित किया था। वर्तमान में विश्वव्यापी कोरोना वायरस भी प्रकृति से छेड़छाड़ व जीव हिंसा का ही प्रतिफल है। ऐसे में आपदाओं से बचाव का एक मात्र उपाय शाकाहार है। जैन आचार्य ने यह बात रविवार सुबह नसियां परिसर में पत्रिका से विशेष चर्चा में कही।
आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर ने बताया था कि पेड़, पौधों में भी जीव है। बाद में उनके इस कथन की ख्यातनाम वैज्ञानिक आइंस्टीन ने न केवल पुष्टि की थी अपितु उनके सिद्धान्तों में ज्ञान के साथ विज्ञान के समावेश को स्वीकारा था। दुर्भाग्य से मनुष्य ने पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया और पूरी दुनिया में ऑक्सीजन की कमी होती चली जा रही है, जो कई आपदाओं का कारण बन रही है। अहिंसा के मायने जीव हत्या ही नहीं है, मन की दुर्भावना भी हिंसा है। भारत में ५० से ६० प्रतिशत लोग किसान हैं, यहां दाल, रोटी के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त उत्पादन होता है। इसके बावजूद लोग मांसाहार की ओर प्रवृत्त होते जा रहे हैं। हद तो यह है कि मुर्गी जो अंडा देती है, उस अंडे को शाकाहार के रूप में मान्यता दिलाने पी तुले हैं। यह सोची, समझी व्यापारिक चाल है। टीवी पर संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे जैसे विज्ञापनों से हम देश के लोगों को मांसाहार की ओर ले जा रहे हैं।
युवा पीढ़ी को दिगभ्रमित होने से बचाएं
आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज ने कहा कि वर्तमान हालात में देश की युवा पीढ़ी को दिगभ्रमित होने से बचाना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। युवा पीढ़ी कर्तव्य भूलकर संत, महात्माओं के कथनों की उपेक्षा कर रही है। लोग आचार व विचार को तिलांजलि दे रहे हैं, धर्मग्रंथों के प्रति उपेक्षा का भाव बढ़ रहा है। हमारी संस्कृति प्राणी मात्र के संरक्षण की संस्कृति रही है, इसे समझना होगा अन्यथा कोरोना महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर नियन्त्रण संभव नहीं होगा। जैन धर्म किसी अन्य धर्म का विरोध नहीं करता, यह आदिकाल से था और अन्नतकाल तक रहेगा। मौजूदा हालात में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए। पशु व पक्षी भी भूखे नहीं रहे, उनके दाने, पानी का भी प्रबंध करना समाज का दायित्व है।
घरों पर मनाएं महावीर जयंती
आचार्य ने कहा कि सोमवार को भगवान महावीर का जन्मदिन है, इसे पंच कल्याण महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने सभी जैन मातवलम्बियों से भगवान महावीर का जन्म दिन घरों पर ही मनाएं। जीओ और जीने दो के सिद्धान्त का पालन करते हुए भगवान की पूजा-अर्चना करें। प्रात: 6 बजे सभी व्यक्तियों द्वारा अपने घरों की छतों पर जाकर 5 मिनिट तक थाली व ताली बजाने के साथ महावीर जयंती सम्बन्धी नारे लगाएंगे। घरों पर जैन ध्वज लगाए जाएंगे। समाज बंधु अपनी सुविधानुसार घर पर महावीर भगवान का भाव पूजन करेंगे। सायं 6.30 बजे घर में 7 दीपक जला कर अपने व आस-पास के घरों में रोशनी करेंगे तथा महावीर भगवान की आरती करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रमाद में हिंसा व सावधानी में अहिंसा है, इसे याद रखना होगा।
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