नहीं मिला एक्स-रे मशीन का फायदा चिकित्साल में करीब 8 वर्ष पूर्व एक्स-रे मशीन लगाई गई थी। लेकिन कक्ष के अभाव में इसे चिकित्सालय के हॉल में ही स्थापित कर दिया गया था। जो केवल शोपीस बनी हुई है। चिकित्साकर्मियों ने बताया कि चिकित्सालय में डार्करुम के लिए बड़ा कक्ष नहीं होने तथा रेडियोग्राफर के अभाव में बंद है। वहीं सोनोग्राफी मशीन भी छोटे कक्ष में लगी है। इसमें बड़े जानवरों की सोनोग्राफी करने में परेशानी होती है। ऐसे में महज छोटे पशुओं की ही सोनोग्राफी हो पाती है।
ऑपरेशन थियेटर नहीं डॉ. महेश सुमन ने बताया कि पशु चिकित्सालय में जगह के अभाव में आप्रेशन थियेटर तक नहीं है। ऐसे में छोटे मोटे ऑपरेशन चिकित्सालय के बाहर खुले में ही करने पड़ते हैं। चिकित्सालय में प्रति माह एक हजार से 12 सौ पशुओं को उपचार के लिए लाया जाता हैं। हालांकि चिकित्सालय में उपचार के बाद रोगी पशुओं को रखने की जगह तक नही हैं। चिकित्सालय के पीछे खुले परिसर में भी आवारा मवेशियों को भर रखा है।
नहीं बनी न्यूट्रीशन लैब शहर समेत जिलेभर में पशुओं को गुणवत्ता पूर्ण चारा तथा खलचूरी आदि खिलाने के लिए राज्य सरकार की योजना के तहत जिला मुख्यालय पर भी न्यूट्रीशन लैब की स्थापना की जानी थी। इससे आहार की गुणवत्ता समेत पशु चारे की भी जांच हो पाती। लेकिन चिकित्सालय में गोसेवकों के विरोध के चलते लैब नहीं बन सकी। पशु चिकित्सालय में न्यूट्रीशन लैब के लिए वर्ष 2022 में प्रस्ताव तैयार कर भिजवाए गए थे। जिसकी स्वीकृति पश्चात 7 जुलाई को समस्त प्रक्रिया पूर्ण कर जगह चुनी गई थी। 24 जुलाई को दो पुराने कक्षों को डिस्मेंटल कर लैब निर्माण कार्य शुरु करना था। कार्यकारी एजेन्सी सार्वजनिक निर्माण विभाग के संवेदक ने तैयारी भी कर ली थी। लेकिन उक्त कक्षों में गोसेवको ने भूसा भर रखा था। वे इसे खाली करने को तैयार नही हुए। ऐसे में लैब निर्माण कार्य अधर में लटक गया।
गोशाला बना परिसर चिकित्सालय प्रभारी डॉ. गणेश चम्पतराव ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पशु चिकित्सालय के पीछे का परिसर आवारा मवेशियों की गोशाला बना हुआ हैं। इसके चलते इस परिसर में न तो अन्य कार्य हो पाते हैं, न ही कोई शिविर का आयोजन करवा पाते हैं। यहां पर 150 से अधिक आवारा मवेशियों को गोसेवकों ने भर रखा है।
चिकित्सालय परिसर से आवारा मवेशियों के जमावड़े को हटवाने के लिए कई बार नगर परिषद आयुक्त को मौखिक तथा लिखित में दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। लैब निर्माण में भी बाधा आ रही है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जिला कलक्टर से मिलकर निराकरण करवाया जाएगा।
हरिबल्लभ मीना, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बारां
हरिबल्लभ मीना, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बारां