सरकार के तमाम दावों के बीच रिश्वतखोरी का चलन कम नहीं हो रहा तो रिश्वतखोरों को दबोचने वाली एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के तार भी ढीले होने लगे हैं।
बारां. सरकार के तमाम दावों के बीच रिश्वतखोरी का चलन कम नहीं हो रहा तो रिश्वतखोरों को दबोचने वाली एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के तार भी ढीले होने लगे हैं। दूसरे शब्दों में समझे तो रिश्वत लेने वालों का नेटवर्क मजबूत हो रहा है। ऐसे में कई शातिर रिश्वतखोर एसीबी के जाल से बच निकलने में सफल हो रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से सहजता से लगाया जा सकता है कि जिले में ही पिछले एक वर्ष के दौरान 13 में से तीन मामलों में शातिर कार्रवाई की भनक लगने के कारण पकड़ में आने से पहले खिसक गए। नौ कार्रवाई में 11 को गिरफ्तार किया गया। एक प्रकरण खुद पुलिस की ओर से दर्ज कराया गया।
दोनों का चल रहा है
काम जिले में एसीबी ने बीते वर्ष शुरूआत के छह माह तक तो काफी आराम किया, लेकिन मई-जून माह में सुस्ती दूर हुई तो धड़ाधड़ कार्रवाई कर हड़कम्प मचा दिया। इससे जिले के लोगों को कुछ राहत जरूर मिली। लेकिन कुछ शातिर सतर्क हो गए तो कुछ ने नेटवर्क को और अधिक प्रभावी कर लिया। इन दिनों भी रिश्वत के दौर में कोई कमी नहीं आई, लेकिन रिश्वतखोर लोक सेवक एसीबी के चंगुल में नहीं फंस रहे।
पुलिस से बच गई पुलिस
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर गत 7 सितम्बर 2017 को जिले के सीसवाली कस्बे में थाने पर तैनात एक पुलिस कांस्टेबल को दबोचने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। एसीबी की टीम को निराश होकर बेरंग लौटना पड़ा। इसी तरह मांगरोल थाने के एक हैड कांस्टेबल ने भी ट्रैक्टर छोडऩे के मामले में रिश्वत की मांग की। इसका वीडियो वायरल भी हुआ था, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। छबड़ा उपखंड के एक सरपंच ने कैटलशेड स्वीकृति के लिए चार हजार रिश्वत की मांग की। सत्यापन में दो हजार लिए, लेकिन शेष दो हजार नहीं लिए तो वह भी बच गया।
११ को दबोचा
जिले में बीते गर्मी के दिनों में पहली कार्रवाई किशनगंज के छीनोद गांव में हुई। इसके बाद 21 जुलाई को अटरू में एक पटवारी, 2 अगस्त को बारां में आबकारी निरीक्षक, 4 अगस्त को पुलिस सब इंस्पेक्टर, 13 अक्टूबर को छबड़ा में एक जेईएन व संविदाकर्मी सचिव, 18 अक्टूबर को विद्युत वितरण निगम का लेखाधिकारी, 26 अक्टूबर को जल संसाधन विभाग का एलडीसी, 9 नवम्बर को विद्युत निगम के दो तकनीकी सहायक व 15 दिसम्बर को मांगरोल में विद्युत निगम के दो और तकनीकी सहायकों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोचा गया। एक आबकारी अधिकारी ठेकेदारों से वसूली करता रहा, टीम की भनक लगी तो वह राशि जीप में छोड़कर घर में घुस गया।