script48 घंटे से जारी हैं ईएसपी के नीचे दबे युवक को निकालने के प्रयास | Efforts are on for 48 hours to rescue the youth buried under ESP | Patrika News

48 घंटे से जारी हैं ईएसपी के नीचे दबे युवक को निकालने के प्रयास

locationबारांPublished: Sep 10, 2021 11:23:34 pm

Submitted by:

mukesh gour

ऊर्जा मंत्री से लेकर सरकार के किसी प्रतिनिधि ने नहीं ली सुध, इकाई-1 भी बंद, विद्युत उत्पादन ठप
 

48 घंटे से जारी हैं ईएसपी के नीचे दबे युवक को निकालने के प्रयास

48 घंटे से जारी हैं ईएसपी के नीचे दबे युवक को निकालने के प्रयास

छबड़ा. मोतीपुरा सुपर थर्मल पावर प्लांट की तापीय विद्युत परियोजना में बुधवार रात इकाई-4 की ईएसपी ढह जाने के बाद उसमें दबे मजदूर दिनेश मेहता को निकालने के लिए एनडीआरएफ एसडीआरएफ सहित थर्मल के कर्मचारियों ने लगातार रेस्क्यू किया। 48 घंटे बीत जाने के बाद भी इसमें सफलता नहीं मिली। हालांकि शुक्रवार को ईएसपी पर रेस्क्यू में तेजी आई। कोटा से 110 टन वजन उठाने वाली क्रेन एवं हाइड्रा क्रेन के साथ रेस्क्यू अभियान आगे बढ़ाया गया। सीएमडी राजेश कुमार शर्मा के निर्देश के बाद जयपुर से जिनेश जैन (डायरेक्टर प्रोजेक्ट) एवं मंगल सिंह (चीफ इंजीनियर सिविल) सहित तकनीकी टीमें घटनास्थल पर पहुंची। इन्होंने रेस्क्यू अभियान को लीड किया। जैन ने बताया कि हादसे के कारण और दोषी के खिलाफ कार्रवाई जांच के बाद की जाएगी। अभी हमारा प्रयास दबे युवक को सुरक्षित निकालना है। रेस्क्यू अभियान के दौरान एडीएम बृजमोहन बैरवा, मुख्य अभियंता एके सक्सेना, उपखंड अधिकारी मनीषा तिवारी, डीवाईएसपी ओमेंद्र सिंह शेखावत, तहसीलदार जतिन दिनकर, मौके पर मौजूद रहे। इतने बड़े हादसे के बाद राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों सहित प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एवं सरकार के किसी प्रतिनिधि ने घटनास्थल पर पहुंच कर जायजा तक नहीं लिया। बुधवार रात्रि को इकाई संख्या चार में हुए हादसे के बाद जहां थर्मल प्रशासन ने एहतियातन इकाई संख्या 3 को भी बंद कर दिया था। इकाई संख्या दो पहले ही बॉयलर की ट्यूब में लीकेज के चलते बंद थी। इकाई- 1 को भी गुरुवार शाम को बंद कर दिया गया। इसके कारणों की पुष्टि नहीं हो सकी। इसके बाद तापीय विद्युत परियोजना की 250-250 मेगावाट क्षमता वाली चारों इकाइयों से विद्युत उत्पादन बंद हो गया है। केवल सुपर थर्मल पावर प्लांट की 660 मेगावाट क्षमता वाली इकाई-5 से विद्युत उत्पादन जारी है।

हजारों टन लोहे व गर्म राख में दबा है दिनेश
ईएसपी गिरने के बाद उसमें नीचे दबे के भीलवाड़ा ऊंचा निवासी दिनेश मेहता (25) को निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं थर्मल प्रशासन को सुरक्षित निकालने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घटनास्थल पर मौजूद एनडीआरएफ की टीम के सदस्य ने बताया कि हजारों टन लोहे से बना यह ढांचा जटिल है। इसमें भरी राख के बीच दिनेश की वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। अभी राख को पानी से एवं ढांचे को काट दिनेश तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैं। दिनेश के सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद में परिजन घटनास्थल पर मौजूद हैं। लगातार हो रही देरी के बाद उनका भी धैर्य टूटता जा रहा है।

रेस्क्यू में देरी पर श्रमिकों ने किया प्रदर्शन
रेस्क्यू ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगाते हुए श्रमिकों ने थर्मल के मुख्य गेट पर जाम लगा दिया। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने एवं घटनास्थल पर जाने की मांग कर रहे थे। मौके पर डीवाईएसपी ओमेंद्र सिंह शेखावत, छबड़ा, बापचा एवं अन्य थानों के पुलिस अधिकारी एवं जवानों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। बाद में इन श्रमिकों, जनप्रतिनिधियों व युवक दिनेश मेहता के परिजनों के दल को घटनास्थल पर ले जाया गया। तब जाकर मामला शांत हुआ।
200 करोड़ से अधिक का नुकसान
हादसे के बाद थर्मल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईएसपी सिस्टम ढह जाने के कारण प्रशासन को 200 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। हालांकि प्रशासन द्वारा पूरे प्लांट का इंश्योरेंस कराया हुआ है, जिसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को सूचित भी कर दिया गया है।

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