गोपालपुरा के माळ में मिले ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले खेतों में जानवर छोडऩा शुरू कर दिया था, लेकिन जानवर भी अब हरा चारा खाने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। ऐसे में रबी की बुवाई के लिए ट्रैक्टरों से हंकाई कर खेतों को तैयार कर रहे हैं। इसके लिए डीजल का बंदोबस्त करने में भी उधारी का ही सहारा बचा है।
किसान तो डूब गए
बावड़ीखेड़ा गांव के किसान सुरेश मेहता ने बताया कि यह इलाका जिले में उन्नत खेती के लिए जाना जाता है। किसान खेतों पर पड़ाव डाल फसलों की देखरेख करते हैं। लेकिन इस बाद दो ही दिन हुई जोरदार बारिश ने किसानों को डूबो दिया। खेतों में ढूंढे से फलियां नहीं मिल रही। अब रबी की फसलों के लिए रुपए-पैसे का बंदोबस्त करना आसान नहीं रहा।
कहीं कम तो अधिक खराबा
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में गत दिनों हुई अतिवृष्टि से कई क्षेत्रों में कम तो कई क्षेत्रों में अत्यधिक खराबा हुआ है। जिले के शाहाबाद उपखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों में ७० प्रतिशत खराबा हुआ है। छबड़ा, छीपाबड़ौद, किशनगंज, अटरू, बारां, मांगरोल व अन्ता में ३० से ५० प्रतिशत खराबे की जानकारी सामने आई है। हालांकि इन क्षेत्रों के कई गांवों में फसलें सुरक्षित हैं, लेकिन फलिया कम बनने व मौसम नहीं खुलने से पकाव का दौर शुरू नहीं हो पा रहा। ऐसे में औसत से कम ही उत्पादन होगा। अब फिर बारिश आफत बनकर आ गई।
— जिले में फसल खराबे का सर्वे पूरा कर लिया गया है। कई क्षेत्रों में अधिक तो कई क्षेत्रों में कम खराबा हुआ है। इसकी रिपोर्ट अतिरिक्त जिला कलक्टर को सौंप दी है। अब जिला प्रशासन इस पर आगे की कार्रवाई करेगा।
पीसी बुनकर, सहायक निदेशक कृषि, बारां