बारां

धरतीपुत्र हांक रहे खेतों में बर्बाद फसलें

किसान अब खेतों में उगी उम्मीदों की हंकाई करने लगे हैं। बुझे मन से हरी फसलों को ट्रैक्टरों से रौंदा जा रहा है

बारांSep 22, 2018 / 01:32 pm

Ghanshyam

Rajasthan farmers stranded in support price purchase

बारां.
जिले के कई क्षेत्रों में किसान अब खेतों में उगी उम्मीदों की हंकाई करने लगे हैं। बुझे मन से हरी फसलों को ट्रैक्टरों से रौंदा जा रहा है, वो भी इस उम्मीद में कि रबी की फसल की बुवाई समय पर हो सके। ऐसे किसानों का कहना है कि फसल खराबे के बाद अब एक दाना भी हाथ में आने की आस गलने से कलेजे पर पत्थर रख न चाहते हुए ऐसा करना मजबूरी बन गया। करीब दस दिन पूर्व जिले में हुई अतिवृष्टि से खरीफ की फसलों में ३० से ७० प्रतिशत तक खराबा हुआ है। शाहाबाद उपखंड में सर्वाधिक खराबा हुआ है। जबकि जिले के कुछ क्षेत्रों में फसलें सुरक्षित भी रहीं हैं। यह खुलासा विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में हुआ है। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी गई है।
 

बारां जिला मुख्यालय से सटे गोपालपुरा, बावड़ीखेड़ा व मियाड़ा गांवों के अलावा बोरीना समेत दर्जनों गांवों में खेतों में ट्रैक्टर से हेरो जोड़ हरी फसलों की हंकाई का दौर अब जोर पकड़ गया है। गांवों में पहुंची पत्रिका टीम को गोपालपुरा गांव के पूर्व सरपंच व किसान विनोद मेहता ने बताया कि बरसात इतनी ज्यादा हुई थी कि उड़द व सोयाबीन ही नहीं धान की फसल भी नष्ट हो गई। अब हाथ में पैसा भी नहीं रहा, लेकिन रबी से उम्मीद जरूर है। सरकार से आस तो है, लेकिन तत्काल राहत की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। ऐसे में कर्ज में डूबे एक बार फिर कर्ज के चुकारे की आस में कर्ज का बोझ बढ़ाएंगे।
 

गांव के ही छोटूलाल व पप्पू मेहता का कहना है कि रबी में लहसुन का बम्पर उत्पादन होने के बाद भाव नहीं मिलने से उसे फेंकना पड़ा था, अब प्रकृति ने खरीफ की फसलों पर पानी फेर दिया। इन हालात में परिवार का गुजर-बसर मुश्किल हो गया तो रबी के लिए खाद व बीज का जुगाड़ बड़ी चुनौती बन गया है।
 

जानवरों के हवाले कर रहे खेत
गोपालपुरा के माळ में मिले ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले खेतों में जानवर छोडऩा शुरू कर दिया था, लेकिन जानवर भी अब हरा चारा खाने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। ऐसे में रबी की बुवाई के लिए ट्रैक्टरों से हंकाई कर खेतों को तैयार कर रहे हैं। इसके लिए डीजल का बंदोबस्त करने में भी उधारी का ही सहारा बचा है।

किसान तो डूब गए
बावड़ीखेड़ा गांव के किसान सुरेश मेहता ने बताया कि यह इलाका जिले में उन्नत खेती के लिए जाना जाता है। किसान खेतों पर पड़ाव डाल फसलों की देखरेख करते हैं। लेकिन इस बाद दो ही दिन हुई जोरदार बारिश ने किसानों को डूबो दिया। खेतों में ढूंढे से फलियां नहीं मिल रही। अब रबी की फसलों के लिए रुपए-पैसे का बंदोबस्त करना आसान नहीं रहा।

कहीं कम तो अधिक खराबा
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में गत दिनों हुई अतिवृष्टि से कई क्षेत्रों में कम तो कई क्षेत्रों में अत्यधिक खराबा हुआ है। जिले के शाहाबाद उपखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों में ७० प्रतिशत खराबा हुआ है। छबड़ा, छीपाबड़ौद, किशनगंज, अटरू, बारां, मांगरोल व अन्ता में ३० से ५० प्रतिशत खराबे की जानकारी सामने आई है। हालांकि इन क्षेत्रों के कई गांवों में फसलें सुरक्षित हैं, लेकिन फलिया कम बनने व मौसम नहीं खुलने से पकाव का दौर शुरू नहीं हो पा रहा। ऐसे में औसत से कम ही उत्पादन होगा। अब फिर बारिश आफत बनकर आ गई।

— जिले में फसल खराबे का सर्वे पूरा कर लिया गया है। कई क्षेत्रों में अधिक तो कई क्षेत्रों में कम खराबा हुआ है। इसकी रिपोर्ट अतिरिक्त जिला कलक्टर को सौंप दी है। अब जिला प्रशासन इस पर आगे की कार्रवाई करेगा।
पीसी बुनकर, सहायक निदेशक कृषि, बारां

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