कपड़े के थैले में लाए थे
आश्रय पालना स्थल प्रभारी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएस कुशवाह ने बताया कि रात 3 बजकर 50 मिनट पर अचानक पालने की घंटी बजी, नर्सिंगर्मियों ने जाकर देखा तो पालने में सूती कपड़े में लपेटकर एक थैले में रखी नवजात बालिका मिली। साफ करने के बाद उसका वजन तथा प्राथमिक उपचार किया। बालिका हाइपोथरपिया (न्यून ताप) की स्थिति में थी। अब स्वस्थ्य है तथा फिडिंग कर रही है। बालिका को जन्म के करीब चार घंटे बाद पालने में छोड़ा गया।
समिति ने नाम दिया सृष्टि
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि आश्रय पालना स्थल के पालने में मिली एक दिन की बालिका को आश्रय पालना स्थल प्रभारी डॉ. कुशवाह व मेल नर्स मोहम्मद असलम ने समिति के सुपूर्द किया। समिति ने नामकरण करते हुए उसको सृष्टि नाम दिया। बालिका स्वस्थ होने पर कोटा स्थित राजकीय शिशु गृह में दाखिल कराने का प्रस्ताव लिया।
त्रिकाल पहुंची डेनमार्क
समिति अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि इससे पहले करीब एक वर्ष पूर्व महाशिवरात्रि के दिन भी एक बालिका इसी पालना में मिली थी। महाशिवरात्रि के दिन मिलने से उसे त्रिकाल नाम दिया गया था। बाद में त्रिकाल को कोटा स्थित राजकीय शिशु गृह में दाखिल कराया गया तथा कुछ माह बाद आश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी कर डेनमार्क के एक परिवार ने उसे गोद लिया। नवजात मिलने के बाद उससे सम्बन्धित जानकारी इंटरनेट पर अपलोड की जाती है।
उधर नन्ही बच्ची को पालने में छोड़कर जाने की बात क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। थोड़ी ही देर में अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन बच्ची को देखने के लिए पहुंच गए। अन्य जगहों के लोग भी बच्ची को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे। कुछ लोगों ने तो मासूम को गोद लेने की इच्छा भी जाहिर की लेकिन चिकित्सक स्टाफ ने कानूनी प्रक्रिया का हवाला दिया।