निशुल्क इलाज, फिर भी करनी पड़ रही जेब ढीली
सरकारी अस्पतालों में
आधी.अधूरी जांचें कर लगा रहे राहत का मलहम
बारां
Updated: April 18, 2022 09:01:44 pm
बारां. सरकार की ओर से लोगों को लाखों रुपए तक का फ्री इलाज देने के लिए खासे प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कई प्राइवेट अस्पतालों से भी अनुबंध किए गए हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में ही सेवा दे रहे अधिकारी-कर्मचारी मरीजों को दी जाने वाली इन सेवाओं पर उदासीनता की कुंडली मारे बैठे हुए है। इससे मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत सरकार की ओर से जिला अस्पताल स्तर पर 56 और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 37 तरह की जांच सुविधा दी जानी है, लेकिन 50 से 75 फीसदी जांच कर सरकार को योजना का आइना दिखाया जा रहा है। हालांकि दवा और जांच योजना की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है। आरएमएससी की ओर से जारी की गई मार्च की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के साथ उच् च स्तर से भी दिशा-निर्देश देकर खानापूर्ति की जा रही है। सख्त कदम नहीं उठाए जाने से मरीजों को सरकार की मंशा के मुताबिक राहत नहीं मिल रही है। लोगों को जांच समेत इलाज के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है।
ग्रामीण में दस से ज्यादा नहीं हो रही जांचे
जिला अस्पताल और सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सीएचसी ही नहीं ग्रामीण स्तर पर भी मरीजों को सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही सभी तरह की जांचे नहीं की जा रही हैं। पीएचसी स्तर पर सरकार की ओर से 15 तरह की सामान्य जांच निशुल्क है, लेकिन जिले की एक भी पीएचसी पर सभी 15 तरह की जांच नहीं की जा रही है। पीएचसी सुन्दलक पर बीते एक माह में 15 में से मात्र 9 तरह की जांच की गई। इससे केवल 38 मरीज लाभांवित हुए। सीमली पीएचसी पर सात की जांच की गई। रामगढ़ और पचेलकलां पीएचसी के तो और भी बुरे हाल हैं। यहां 6-6 तरह की जांच की जा रही है। रामगढ़ में एक माह में 34 मरीजों को लाभांवित किया गया। राजपुर पीएचसी पर 9, पाली में 10, पलायथा में 10, पचेलकलां में 6, मोतीपुरा चौकी पर 8, मोठपुर में 9, मूंडला बिसौती पर 9, माथना में 9, कुंजेड में 10, कोटड़ी में 9, खजूरनाकला में 8, कटावर में 10, कस्बाथाना में 10, जैपला में 8, देवरी में 10, भंवरगढ़ में 10, भटवाड़ा में 9, बमूलिया माताजी में 9, बमोरीकला में 10, बामला में 8 और बड़वा पीएचसी पर 10 तरह की जांचे की जा रही है।
-इस मामले में उच्च स्तर से भी जानकारी ली गई है। यहां कुछ तो ऑपरेटर की ओर से ऑनलाइन डाटा फीड नहीं किया जा रहा है। स्टूल आदि कुछ जांच की अब जरूरत नहीं होती है। जिला अस्पताल में बायोकैमिस्ट एनालाइजर के लिए रीजेन्ट खतम हो रहे है। कुछ चिकित्सक भी जांचे कम लिख रहे है। सीएचसी पीएचसी पर भी कुछ इसी तरह के हाल है, लेकिन अगले सप्ताह तक इसमें सुधार हो जाएगा।
-डॉ. सम्पतराज नागर, सीएमएचओ, बारां

निशुल्क इलाज, फिर भी करनी पड़ रही जेब ढीली
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
