बैंक अफसरों के लिए आमजन की भीड़ को संभालने से ज्यादा माथापच्ची इन अफसरों के प्रतिनिधियों की मांग पूर्ति में करनी पड़ रही है। इनकी रसूखदारी बैंकों में इस कदर हावी है कि अपने प्रतिनिध भेजकर दिनभर में दो से तीन बार नोटों की गड्डियां मंगवा रहे हैं। ऐसे में आमजन की कतार के साथ इंतजार बढ़ता जा रहा है। खुद बैंक अफसर इन बड़े अधिकारियों से परेशान है, लेकिन वे उच्चाधिकारियों के दबाव के चलते कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
100 से अधिक आ चुके सिफारिशी एक बैंक मैनेजर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सुबह से शाम तक 100 से अधिक लोग किसी ने किसी अफसर का हवाला देकर आ चुके हैं। कोई सुनने को तैयार ही नहीं होता, सिर्फ एक ही बात शुरू कर देते हैं, ‘साहब ने भेजा है, जल्दी नोटों की व्यवस्था कर दीजिए।’
प्रशासन से काम, सुरक्षा की दरकार शनिवार को एक बैंक में पत्रिका संवाददाता पहुंचा, जहां बैंक अधिकारी के पास हर दूसरा फोन नए नोटों की व्यवस्था के लिए आ रहा था। परेशान बैंक अधिकारी ने एक प्रशासनिक अधिकारी को झल्लाते हुए उलटा जवाब भी दे दिया।
हालांकि बाद में बात सम्भाली और भीड़ कम होने के बाद नोट उपलब्ध कराने का दिलासा दिया। इसके अलावा हर समय सुरक्षा की दरकार देख पुलिस अधिकारियों ने भी बैंकों में फोन घनघनाना शुरू कर रखा है।