National program कोरोना सुस्त हुआ तो याद आया हेपेटाइटिस
National program was in cold storage since launch
लांच के बाद से ही ठंडे बस्ते में था राष्ट्रीय कार्यक्रम
-सेम्पल बारां में लेंगे, वायरल लोड की जांच झालावाड़ होगी
-इलाज व जांच सुविधा मिलेगी निशुल्क
बारां
Published: March 07, 2022 10:10:04 pm
-hakim pathan
बारां. कोरोना को लेकर स्थिति सामान्य होते देख अब सरकार की ओर से दूसरे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रमों को पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत अब नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम को गति दी जा रही है। सरकार की ओर से वर्ष करीब तीन वर्ष पहले यह कार्यक्रम लांच किया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही कोरोना महामारी ने जोर पकड़ लिया तथा कार्यक्रम आमजन तक पहुंचने से पहले ही ठंडे बस्ते में चला गया। अब संक्रमण को लेकर स्थितियां सामान्य हुई तो इस ओर ध्यान दिया गया। जिला स्तर पर दिशा-निर्देश पहुंचे तो यहां के अधिकारी भी सक्रिय हो गए। कार्यक्रम के तहत सरकारी अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी व सी की जांच व इलाज सुविधा निशुल्क मुहैया कराई जाएगी। हेपेटाइटिस बी और सी बेहद खतरनाक बीमारियां है। लापरवाही बरतने पर जान जोखिम में भी आ सकती है।
बनाया ट्रीटमेन्ट सेन्टर
जिला चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. राजेन्द्र कुमार मीणा का कहना है कि हेपेटाइटिस बी से मुक्ति को लेकर केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2018 में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया गया था। इसके तहत मरीजों को मुफ्त जांच और इलाज मुहैया कराया जाएगा। बारां जिले में भी हेपेटाइटिस वायरल की जांच शुरू कर दी गई है। यहां जिला अस्पताल में अलग से ट्रीटमेंट सेन्टर बनाया गया है तथा जिला अस्पताल के ही डॉ. नरेन्द्र मेघवाल को जिला नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा अलग से लैब टेक्नीशियन व डाटा एंट्री ऑपरेटर की व्यवस्था की गई है।
मां और शिशु को लगाएंगे वैक्सीन
ट्रीटमेन्ट सेन्टर पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं की हैपेटाइटिस बी की शत प्रतिशत स्क्रिनिंग की जाएगी। मरीजों के सेम्पल जिला अस्पताल की लैब में लिए जांएगे तथा जांच भी की जाएगी। लेकिन वायरल लोड की जांच के लिए सेम्पलों को माह में दो बार एक व 16 तारीख को यहां से झालावाड़ स्थित एसआरजी मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा। जांच में पॉजीटिव आने वालों का निशुल्क इलाज व उनका फोलोअप भी किया जाएगा। पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया जाएगा तथा उसके नवजात शिशुओं को एचबीआईजी की डोज तथा हैपेटाइटिस बी की बर्थ डोज लगाई जाएगी। ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं के प्रसव भी जिला अस्पताल में ही होंगे। इस व्यवस्था के लिए जिला नोडल अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यक्रम की निगरानी आईडीएसपी यूनिट करेगी।
पांच तरह के होते है हेपेटाइटिस
सूत्रों ने बताया कि हेपेटाइटीस ए, बी, सी, डी और ई पांच प्रकार के होते हैं। इनमें भी बी और सी अधिक खतरनाक होते हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होने वाला लिवर का एक गंभीर संक्रमण है। वहीं, हेपेटाइटिस सी लिवर की बीमारियों का प्रमुख कारण है। समय से इलाज नहीं कराने पर यह लिवर सिरोसीस तथा कैंसर तक का रूप ले लेता है। गर्भवतियों को विशेष तौर पर इससे सतर्क रहना होता है। गर्भवती से उसके होने वाले बच्चे में भी यह बीमारी पहुंचने का जोखिम रहता है।
-नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम को गति दी जा रही है। हाल ही में सम्बंधीतों की बैठक कर प्रशिक्षण व दिशा-निर्देश दिए गए है। जिला अस्पताल को ट्रीटमेन्ट सेन्टर बनाया गया है। सेम्पल की जांच बारां में की जाएंगी, लेकिन वायरल लोड जांच के लिए उन्हें झालावाड़ भेजा जाएगी।
-डॉ. सम्पतराज नागर, सीएमएचओ, बारां
यह है लक्षण
-शरीर में दर्द होना हेपेटाइटिस बी और सी का प्राथमिक लक्षण है
-पीलिया होना भी इसका प्रमुख लक्षण है
-पेट या लीवर में दर्द , पेट में पानी भरना
-भूख न लगना, पेट में सूजन आ जाना

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