बारां. जिले में करीब सवा तीन सौ चिकित्सा केन्द्र व इनके अपने भवन है, इनमें रोगी भी पहुंचते हैं, लेकिन दो-तीन को छोड़ शेष में मिलता है रैफर टिकट।
उपचार नहीं, मिल रहे ‘रैफर टिकट, बारां, केलवाड़ा व अन्ता चिकित्सालयों में ही ऑपरेशन, वरिष्ठ एवं कनिष्ठ विशेषज्ञों के रिक्त पदों से परेशानी
बारां. जिले में करीब सवा तीन सौ चिकित्सा केन्द्र व इनके अपने भवन है, इनमें रोगी भी पहुंचते हैं, लेकिन दो-तीन को छोड़ शेष में मिलता है रैफर टिकट।
अधिकांश सामुदायिक केन्द्रों में ऑपरेशन थियेटर हंै, आवश्यक उपकरण भी, फिर भी ऑपरेशन नहीं हो रहे। वरिष्ठ एवं कनिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से यह चिकित्सालय खुद बीमार हंै। ऐसे में मरीज को एक संस्थान से दूसरे संस्थान पर रैफर कर काम चलाया जा रहा है। गांव व कस्बाई क्षेत्रों से अधिकांश मरीजों को जिला चिकित्सालय रवाना किया जा रहा है। यहां भी गंभीर बीमारी पर तुरंत
कोटा रैफर कर दिया जाता है।
12 लाख आबादी और १ हजार बेड
जिले की करीब 12 लाख से अधिक आबादी के लिए मात्र एक हजार बेड स्वीकृत है। लेकिन सीएचसी, पीएचसी पर व जिला चिकित्सालयों में बेड की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है।
इससे मौसमी बीमारियों के सीजन में चिकित्सालय फुल हो जाते हैं तथा मरीजों को वार्डों के बाहर गैलरी में चादर बिछाकर फर्श पर उपचार देना पड़ता है। कई बार एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती रखना पड़ रहा है। अव्यवसथाएं हावी रहती है। जिला चिकित्सालय में अक्सर मौसमी बीमारियों के सीजन के दौरान ऐसे हालात आम रहते हंै। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भी तीन सौ ही बेड स्वीकृत है।
घट रहे डिलेवरी प्वाइंट
जिले में बढ़ती आबादी के मुताबिक
प्रसव प्वाइंटों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन यह कम किए जा रहे है। पिछले वर्ष तक जिले में 32 प्रसव प्वाइंट संचालित किए जा रहे थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर ३० रह गई है। इनमें से भी दो सीएचसी अन्ता व केलवाड़ा में ही ऑपरेशन से प्रसव कराए जा रहे है, शेष सीएचसी, पीएचसी पर ऑपरेशन से प्रसव कराने की स्थिति बनती है तो प्रसूताओं को रैफर कर दिया जाता है। इससे आपातकालीन सेवा की 108 व 104 एम्बुलेंस पर भी बोझ बढ़ रहा है।
& जिले में जिला चिकित्सालय के अलावा चिकित्सकों के करीब 204 पद स्वीकृत है, लेकिन इसमें से 93 पद रिक्त हंै।