करंट का साया फिर भी हो रहा कब्जा
बारांPublished: Dec 15, 2018 08:21:27 pm
खुले में ही 33 केवी सब ग्रिड स्टेशन का संचालन होने से आए दिन दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है। कस्बे में पिछले वर्ष 33 के वी का खुले में ही निर्माण कर संचालन शुरू कर दिया
सुविधाओं की कमी
कर्मचारी आवास के लिए परेशान
कस्बाथाना. कस्बे में कहने को तो पिछले साल ३३ केवी सब ग्रिड का निर्माण शुरू कर आनन-फ ानन में इसे शुरू कर दिया लेकिन सब ग्रेड की चारदीवारी व मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण करंट के झटकों का डऱ लगा रहता है । खुले में ही 33 केवी सब ग्रिड स्टेशन का संचालन होने से आए दिन दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है। कस्बे में पिछले वर्ष 33 के वी का खुले में ही निर्माण कर संचालन शुरू कर दिया जिससे कस्बे के लोगों को बिजली आपूर्ति में सुधार तो हुआ लेकिन खुले में संचालन होने और चारों और सुरक्षा दीवार नहीं बनने के कारण लोगों को करंट के झटके का डऱ लगा रहता है । सब ग्रिड़ के पास ही लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। कुछ तो यहां रहने लगे हैं। इन्हें रात के अंधेरे में घर से बाहर निकलते समय करंट से चिपकने का डऱ लगा रहता है। जानवर भी ग्रिड़ के आसपास विचरण करते नजर आते हैं। लोगों के मकानों के ऊपर से भी सब ग्रिड़ की लाइनें गुजर रही है । इससे लोगों की जान जोखिम में बनी रहती है। आए दिन स्पार्किग होने से मकानों में आग लगने का डऱ बना हुआ है।
सुविधाओं का अभाव
33 केवी सब ग्रिड़ पर एक कनिष्ठ अभियंता सहित दो लाइनमैन हैेल्पर के पद हंै जिनका मुख्यालय कस्बे का सब ग्रिड स्टेशन है । लेकिन स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव के कारण कनिष्ठ अभियंता मुख्यालय पर नहीं रह पाते हैं । लोगों को अपनी विधुत समस्या के लिए दर.दर भटकना पड़ता है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण कनिष्ठ अभियंता को शाहाबाद 132 केवी स्टेशन पर रहना पड़ रहा है । कनिष्ठ अभियंता ,लाइनमैन हेल्पर को मुख्यालय पर रहने के लिए ना आवास की सुविधा है ना कार्यालय संचालन के लिए भवन। लाइनमैन ने अपने स्तर पर टीन सेट कर अस्थाई जगह बना रखी है इसमें एक कर्मचारी बिजली सप्लाई शुरू और बंद करने के लिए बैठा रहता है । भवन और कार्यालय नहीं होने के कारण लोगों को बिजली से संबंधित समस्याओं, नवीन कनेक्शन बिल जमा और बिल संशोधन के लिए कस्बे से 24 किलोमीटर दूर शाहबाद स्थित कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
घटती जा रही जमीन
कस्बे में 33 केवी सब स्टेशन बनाने के लिए विभाग ने सन 1988 में करीब 20 बीघा जमीन का आवंटन किया था लेकिन विभाग की लापरवाही और उदासीनता के चलते जमीन की सुध नहीं ली गई। यह जमीन अतिक्रमण से लगातार घट रही है। यहां कई लोग आवास के लिए टापरी बनाकर रहने लगे हैं। ग्रिड़ की जमीन पर करीब तीन दर्जन लोगों ने अपने अपने आवास बना ररखे हैं। विभाग की जमीन 20 बीघा से घटकर करीब 5 बीघा ही रह गई है । शेष बच रही जमीन पर भी लोगों ने अतिक्रमण कर आवास बनाना शुरू कर दिया है । ठेकेदार भी विभाग द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने के कारण अपना पूरा निर्माण कार्य नहीं कर सका है । इससे कस्बे सहित क्षेत्र के लोगों को बिजली संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है
इधर उधर बैठते कर्मचारी
स्थाई समाधान नहीं होने के कारण शाहबाद से बिल जमा कराने आने वाले कर्मचारी और लाइनमैन कनिष्ठ अभियंता को भी इधर बैठ कर काम करना पड़ता है। बिल जमा करने आने वाले कर्मचारियों को कभी अटल सेवा केंद्र तो कभी अस्थाई बनाई टीन सेट में बैठकर बिल जमा करने पड़ते हैं । लाइनमैन हेल्पर कनिष्ठ अभियंता को बाजारों दुकानों और लोगों के मकानों में इधर उधर बैठकर कार्य करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट – हंसराज शर्मा द्वारा
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