scriptलॉकडाउन में मुस्करा रही जिंदगियां, दूर से ही दे रहे नवजातों को दुलार | Lives smiling in lockdown | Patrika News

लॉकडाउन में मुस्करा रही जिंदगियां, दूर से ही दे रहे नवजातों को दुलार

locationबारांPublished: Apr 07, 2020 06:45:56 pm

Submitted by:

Mahesh

जिला चिकित्सालय में 243 बच्चों का हुआ जन्म, बारां कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, लोगों में अदृश्य वायरस को लेकर भय व्याप्त है। इस दौरान लॉकडाउन के चलते लोगों को घरों में रहने के लिए ताकीद की जा रही है। कई नौनिहाल दुनिया में कदम रख रहे हैं। परिजन व चिकित्सालय प्रशासन भी जच्चा-बच्चा की सेहत को लेकर सतर्क है।

लॉकडाउन में मुस्करा रही जिंदगियां, दूर से ही दे रहे नवजातों को दुलार

लॉकडाउन में मुस्करा रही जिंदगियां, दूर से ही दे रहे नवजातों को दुलार

जिला चिकित्सालय में 243 बच्चों का हुआ जन्म, बारां कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, लोगों में अदृश्य वायरस को लेकर भय व्याप्त है। इस दौरान लॉकडाउन के चलते लोगों को घरों में रहने के लिए ताकीद की जा रही है। कई नौनिहाल दुनिया में कदम रख रहे हैं। परिजन व चिकित्सालय प्रशासन भी जच्चा-बच्चा की सेहत को लेकर सतर्क है। जिला चिकित्सालय में लॉकडाउन के दिनों में करीब 243 बच्चों का जन्म हुआ है। सोमवार दोपहर एक बजकर एक मिनट पर किशनगंज तहसील के रानीबड़ौद निवासी प्रसूता उर्मिला ने पहले प्रसव में पुत्र का जन्म दिया। नवजात की दादी सरस्वती बाई नागर अस्पताल में उसके साथ है, लेकिन वह उर्मिला के बेड के समीप ही बैठी हुई दूर से निहारती रही।

पोते को छूने से पहले सेनेटाइजर
नवजात की दादी सरस्वती ने बताया कि उसकी पुत्रवधू उर्मिला व पुत्र दीपेन्द्र नागर के पहली संतान के रूप में पुत्र को जन्म दिया। पोता मिलने की बेहद खुशी है। उसे छूने को मन करता रहता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के डर के चलते सेनेटाइजर का उपयोग कर रहे हैं। बेड के समीप ही सेनेटाइजर की बोतल रखी हुई है। मां उर्मिला भी नन्हें सी जान का दूध पिलाने व सहलाने से पहले सेनेटाइजर से हाथ साफ कर रही है तथा मुंह पर स्कार्फ का मास्क लगाया हुआ है। दादी सरस्वती का कहना है कि संक्रमण के चलते जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने की पहली जिम्मेदारी है।

125 लड़के, 118 लड़कियों का जन्म
जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. अख्तर अली ने बताया कि जिला चिकित्सालय में 21 मार्च से 5 अप्रेल तक कुल 239 संस्थागत प्रसव हुए हंै। इनमें 125 लड़के व 118 लड़कियां शामिल है। चार महिलाओं ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। इस तरह 243 बच्चों का जन्म हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रसूताओं व नवजात का ध्यान रखा जा रहा है। जन्म के बाद कुशलक्षेम पूछने वाले अन्य परिजनों के लिए भी सोशल डिस्टेंस रखने के लिए समझाइश की जा रही है। इन दिनों मरीजों की भीड़ कम होने के कारण भी स्टाफ देखभाल में अधिक समय दे रहा है।

ऐसे रखें घरों पर ध्यान
-कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण को लेकर चिकित्सालय में लेबर रूम व वार्ड आदि में सेनेटाइजर का छिड़काव कर डिस इंफेक्शन किया जा रहा है। प्रयास है कि लोगों का लेबर रूम में कम से कम आना जाना हो। जिले के सभी सीएचसी व प्रसव प्वाइंटों पर इसका ध्यान रखा जा रहा है। घरों पर संक्रमण से बचाव के लिए लोगों से घर पर बेवजह जच्चा-बच्चा से नहीं मिलने तथा शगुन के रूप में बच्चे को देखने वालों को दूर रखने के लिए समझाइश की जा रही है।
-डॉ. राजेन्द्र कुमार मीणा, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य)

संस्थागत प्रसव पर एक नजर
शिशु जन्म 239
बेटों का जन्म 125
बेटियों का जन्म 118
जुड़वा शिशु चार जन्म
(21 मार्च से 5 अप्रेल तक लॉकडाउन में जिला चिकित्सालय में संस्थागत प्रसव की स्थिति)

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो