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मांगा ज्यादा, मिला कम, फूल रहा किसानों का दम

locationबारांPublished: Dec 20, 2018 08:43:14 pm

Submitted by:

Ghanshyam

गत 20 दिनों में यहां महज 10 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही पहुंचा है। जबकि दिसम्बर माह के लिए कृषि विभाग ने 26 हजार मीट्रिक टन यूरिया की मांग भेजी थी, लेकिन कृषि निदेशालय से जिले के लिए 14 मीट्रिक टन यूरिया

baran

kisano ki paresani

जले में और भी गहराया यूरिया संकट
बारां शहर में दिनभर लगती रही कतारें
बारां. जिले में करीब दो माह से पर्याप्त यूरिया नहीं मिलने से छोटी व मझौली जोत के किसानों की नींद उड़ी हुई है। गत 20 दिनों में यहां महज 10 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही पहुंचा है। जबकि दिसम्बर माह के लिए कृषि विभाग ने 26 हजार मीट्रिक टन यूरिया की मांग भेजी थी, लेकिन कृषि निदेशालय से जिले के लिए 14 मीट्रिक टन यूरिया का ही आवंटन किया था। ऐसे में इस माह अभी 16 हजार मीट्रिक टन यूरिया की और दरकार है। यही कारण है कि जिलेभर में यूरिया के लिए किसानों की भीड़ उमड़ रही है। यूरिया नहीं मिलने से आक्रोशित किसानों को काबू करने के लिए कहीं पुलिस थानों व चौकियों में कतारें लग रही हैं तो कही हालात संभालने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी व फटकारनी पड़ रही है। दूसरी ओर कई किसानों का आरोप है कि कई निजी डीलर यूरिया की कालाबाजारी कर अधिक दाम वसूल रहे हैं, हालांकि कृषि अधिकारियों ने ऐसी एक भी शिकायत मिलने से इनकार किया है।
ऐसे बढ़ती चली गई मांग
कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में अक्टूबर से दिसम्बर माह तक ६१ हजार मीट्रिक टन यूरिया की मांग भेजी गई थी, इसके विपरीत इस अवधि में लगभग ४७ हजार मीट्रिक टन यूरिया की जिले को आपूर्ति मिली है। नवम्बर के बाद अब दिसम्बर माह में मांग के अनुरूप यूरिया नहीं मिलने से किल्लत जैसे हालात बन गए। अब हालात यह है कि घंटों के इन्तजार के बाद किसानों को एक से दो कट्टे यूरिया मिल रहा है। जबकि इनदिनों किसानों को यूरिया की खासी दरकार है। गुरुवार को बारां शहर में शाहाबाद रोड व कॉलेज रोड पर यूरिया के लिए किसानों की कतारें लगीं।
15 दिन चुनाव की खुमारी
जिले में यूरिया की बड़ी खेप दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में मिली थी, बाद में ७ दिसम्बर को मतदान व ११ दिसम्बर को मतगणना होने से सभी अधिकारी इसमें व्यस्त हो गए। चुनावी कार्य से मुक्त होने के बाद नई सरकार के गठन ने अधिकारियों को रोके रखा, ऐसे में अब यूरिया का संकट एकदम विकराल हो गया। विभागीय सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को कोटा पहुंचने वाली इफको की रैक से बारां जिले को 882 मीट्रिक टन यूरिया मिलेगा, सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को वितरित किया जाएगा। इससे कुछ राहत मिलने की आस है।
ऐसे भी बढ़ता है संकट
जिले से मध्यप्रदेश के श्योपुर, शिवपुरी व गुना की सीमा लगती हुई है। वहां के किसान बारां की कृषि उपज मंडी में जिंस बेचने आते हैं। मध्यप्रदेश में फसल उतपादन राजस्थान से करीब २० दिन पहले शुरू हो जाता है। वहीं के किसान अक्अूबर माह में खरीफ की सोयाबीन जिला मुख्यालय की मंडी में बेचने के बाद यहां से ही यूरिया खरीद कर ले जाते हैं। जबकि जिले में फसल उत्पादन विलम्ब से होने से यहां के किसान आर्थिक तंगी में रहते हैं, जो यूरिया की खरीद नहीं कर पाते। बाद में जिंस बिकने से यूरिया की डिमांड एकाएक बढ़ जाती है, और मारामारी मचती है।
-दिसम्बर माह में अब तक १० हजार मीट्रिक टन यूरिया ही मिला है। वैसे जिले का आवंटन 14 हजार मीट्रिक टन ही है, लेकिन विभाग ने गेहूं की अधिक बुवाई होने की संभावना के चलते २६ हजार मीट्रिक टन की मांग भेजी थी। शुक्रवार को सहकारी क्षेत्र में यूरिया मिलने से काफी राहत मिलेगी।
पीसी बुनकर, उपनिदेशक कृषि
रिपोर्ट – हंसराज शर्मा द्वारा
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