Monsoon–नौ जल भंडार छलकने को आतुर , कृषि क्षेत्र की उम्मीदें बढ़ी
बारांPublished: Aug 19, 2019 04:02:53 pm
Monsoon–नौ जल भंडार छलकने को आतुर , कृषि क्षेत्र की उम्मीदें बढ़ी जिले में इस वर्ष अब तक औसत बारिश करीब 756 .37 एमएम तक हो चुकी है। हालांकि अभी जिले में औसत बारिश का आंकड़ा कुछ दूर है। लेकिन खेतों में पानी भरे रहने से फसलों को नुकसान है। आगामी पांच से सात दिनों तक बारिश का दौर जारी रहता है तो फसलों में और अधिक खराबा होगा। लेकिन आगामी 15 सितम्बर के आसपास रबी के सीजन में बारिश होगी तो वह फसलों के लिए अमृत साबित होगा।इन बांध तालाबों पर चल रही चादर
Monsoon–नौ जल भंडार छलकने को आतुर , कृषि क्षेत्र की उम्मीदें बढ़ी Monsoon–नौ जल भंडार छलकने को आतुर , कृषि क्षेत्र की उम्मीदें बढ़ी जिले में इस वर्ष अब तक औसत बारिश करीब 756 .37 एमएम तक हो चुकी है। हालांकि अभी जिले में औसत बारिश का आंकड़ा कुछ दूर है। लेकिन खेतों में पानी भरे रहने से फसलों को नुकसान है। आगामी पांच से सात दिनों तक बारिश का दौर जारी रहता है तो फसलों में और अधिक खराबा होगा। लेकिन आगामी 15 सितम्बर के आसपास रबी के सीजन में बारिश होगी तो वह फसलों के लिए अमृत साबित होगा।
इन बांध तालाबों पर चल रही चादर
जिले में 11 बड़े बांध तालाब है। इनमें से बेथली व ल्हासी दो बांध को छोड़कर शेष सभी नौ बांध तालाब पर चादर चल रही है। गोपापुरा बांध की कुल भराव क्षमता 32.6 5 एमक्यू(मिलीयन क्यूबिक मीटर) है। इस पर करीब 13 सेमी की चादर चल रही है। बैथली बांध की भराव क्षमता 37.6 5 एमक्यू है, यहां फिलहाल 35.24 एमक्यू पानी आ गया है। बिलास बांध पर 28 .90 एमक्यू भराव क्षमता है, यहां करीब दस सीएम की चादर चल रही है। उम्मेदसागर बांध पर 18 .6 0 एमक्यू भराव क्षमता है, यहां सात सीएम की चादर चल रही है। हिंगलोअ में 16 .20 भराव क्षमता है, यहां 15सीएम की चादर है। इकलेरा सागर तालाब में 10.02 एमक्यू की भराव क्षमता है, यहां 18 सीएम की चादर है। रातई तालाब में 9.75 एमक्यू क्षमता है, यहां 10 सीएम की चादर चल रही है। कालीसोत तालाब की 7.59 एमक्यू क्षमता है, यहां 7 सीएम की चादर है। छत्रपुरा की भराव क्षमता 6 .17 है, यहां 4सीएम की चादर है। उतावली में 4.76 एमक्यू की क्षमता है, यहां 4 सीएम की चादर है। ल्हासी बांध की भराव क्षमता 30.8 0 है, यहां अब तक 24.57 एमक्यू पानी आ चुका है।
कहीं कम, कहीं अधिक उत्पादन
कृषि विश्वविद्यालय कोटा के सेवानिवृत्त निदेशक कृषि वैज्ञानिक डॉ. आईएन गुप्ता का कहना है कि जिले में इन दिनों सोयाबीन, उड़द, मक्का व धान की पैदावार अधिक होती है। यहां खेतों में पानी भर गया है, लेकिन पानी निकासी की व्यवस्था कर ली जाए तो फसलों के लिए बारिश वरदान है। दो से चार दिनों तक पानी भरा रहता है तो पैदावर कमजोर रहेगी तथा जिन खेतों में फसल गल जाएगी, वहां तो पैदावर समाप्त ही हो जाएगी। औसत रूप में देखा जाए तो जिले में कहीं अधिक और कहीं कम उत्पादन होगा। वैसे जिले में बारिश से चावल की फसल अच्छी रहने की उम्मीद है। कृषि प्रधान जिला होने से यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही आधारित है।
रबि फसल को मिलेगा लाभ
बारिश से विद्युत उत्पादन व उद्योगों को लाभ मिलेगा। भविष्य में भू-जल स्तर में सुधार होगा तो आगामी फसले भी अच्छी होगी। फिलहाल रबि सीजन सितम्बर-अक्टूबर में होने वाली बुवाई के बाद अच्छी फसल होने की उम्मीद है। किसानों को रबि सीजन की फसलों में अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है।