Baran-ज्यूं झालो देती दीखे अठे पीली लूगड़ी ,लोगों का मन इस मनभावन दृश्य को आंखों में कैद करने को उछल पड़ता है
देवरी.ज्यूं झालो देती दीखे अठे पीली लूगड़ी। हां जनाब इन दिनों खेतों में ऐसा ही नजारा है। पीली चूनर ओड़े खेत यात्रियों को जैसे बरबस रोक लेते हैं। लोगों का मन इस मनभावन दृश्य को आंखों में कैद करने को उछल पड़ता है। देवरी क्षेत्र के खेतों में सरसों की फसल लहराने लगी है। दूर.दूर तक खेत पीले नजर आने लगे हैं। इस बार क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में सरसों की बुवाई कम हुई है।

Baran-ज्यूं झालो देती दीखे अठे पीली लूगड़ी ,लोगों का मन इस मनभावन दृश्य को आंखों में कैद करने को उछल पड़ता है
देवरी.ज्यूं झालो देती दीखे अठे पीली लूगड़ी। हां जनाब इन दिनों खेतों में ऐसा ही नजारा है। पीली चूनर ओड़े खेत यात्रियों को जैसे बरबस रोक लेते हैं। लोगों का मन इस मनभावन दृश्य को आंखों में कैद करने को उछल पड़ता है। देवरी क्षेत्र के खेतों में सरसों की फसल लहराने लगी है। दूर.दूर तक खेत पीले नजर आने लगे हैं। इस बार क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में सरसों की बुवाई कम हुई है। पिछले वर्ष सरसों की बुवाई ज्यादा रकबे में थी। इस वर्ष सरसों की बुवाई कम रकबे में हुई है। सरसों की फसल में फूल बनना शुरू हो गया हैं। देवरी के किसान नवल सिंह चंदेल ने बताया कि सरसों की फसल में सर्दी पडऩे से फायदा होगा। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार सरसों की फसल ठीक है। वहीं भोयल के किसान नवल ने बताया कि सरसों की फसल से खेतों की मिट्टी में उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। इसलिए किसानों का रुझान इस बार सरसों की फसल की ओर नहीं गया। सरसों की फसल की बुवाई के समय गर्मी ज्यादा पडऩे से भी सरसों की फसल बीज के अनुपात में कम अंकुरित हुई है। लेकिन जो अंकुरित हुई वह फसल ठीक है।
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