हरनावदाशाहजी. कोई बाराती, कोई अजीब भेष बनाकर तो कोई डांडिया की ताल मिलाकर भक्ति रस में डूबकर शोभा बढ़ा रहा था।
हरनावदाशाहजी. कोई बाराती, कोई अजीब भेष बनाकर तो कोई डांडिया की ताल मिलाकर भक्ति रस में डूबकर शोभा बढ़ा रहा था। यह नजारा था कस्बे में ठाठ बाट से निकाली
शिव बारात का। जिसमें दूल्हे बने भगवान शंकर की झांकी के साथ युवा वर्ग से लेकर अधेड तक झूमता नजर आया। शिवालय गुफा पर शिव विवाह कार्यक्रम को लेकर बूढा महादेव से शिव की सजी धजी बारात निकाली गई थी। दोपहर दो बजे रवाना हुई बारात में नवयुवक मंडल के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। बारात में शामिल लोगों का जगह जगह पुष्प वर्षा व छाछ पिलाकर स्वागत किया। इसके बाद बारात शिवालय गुफा पहुंची। जहां पर पार्वती के परिजन बने लोगों ने बारात का स्वागत किया। इस अवसर पर
मंदिर परिसर फूलों से सजाया था।
शाहाबाद. यहां रामेश्वर महादेव, राजपुर रोड स्थित सहश्रेश्वर महादेव, पंचमुखी महादेव, तपस्वीजी की बगीची सहित कई मंदिरों पर भजन संध्या तथा कीर्तन हुए। वहीं देवरी, सहरोल तलहटी, गांजन हनौतिया आदि जगह धार्मिक अनुष्ठान हुए।
भजनों की प्रस्तुति
गऊघाट. गऊघाट समेत आसपास के गांवों में बुधवार को महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर शिवालयों में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना व जागरण कार्यक्रम हुए। गोरडी के पास परवन नदी के बीच स्थित गंगेश्वर महादेव मंदिर परिसर में आयोजित जागरण कार्यक्रम में
कोटा के विनायक आर्केस्ट्रा म्यूजिकल ग्रुप के कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा बिछालस में महादेव भंडदेवरा, विजयपुर शंकर भगवान के मंदिर अखंड रामायण पाठ किया। गंगेश्वर महादेव शिला पर आयोजित मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
कृष्ण ने दिया सच्ची मित्रता का संदेश
बारां. ग्राम कोटड़ी तुलसां स्थित देवनारायण मंदिर परिसर में चल रही संगीतमय भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र को रोचक ढंग से सुनाया गया। कृष्ण-सुदामा की मनोहर झांकी भी सजाई गई। कथावाचक पंडित मुकुट बिहारी शास्त्री ने कहा कि मित्रता में कोई छोटा बड़ा नहीं होता है। मित्रता धन, पद, जाति से नहीं होती है। मित्रता तो सच्चे समर्पण भाव, सच्ची निष्ठा की पराकाष्ठा है। कृष्ण ने अपने पद को छोड़कर व ठकुराई को भूलकर नंगे पैर दौड़कर सुदामा के पैर धोए। उसे अपने बराबर बिठाकर सच्ची मित्रता का संदेश दिया। अरे द्वारपालो
कन्हैया से कह दो….भजन पर भक्तों ने नृत्य किया। भागवत कथा के समापन पर आसपास से श्रद्धालु पहुंचे।
(पत्रिका संवाददाता)