परवन वृह्द सिंचाई परियोजना, जरूरत 2700 करोड़ की और 86 करोड़ रुपए का ही प्रावधान
पर्याप्त राशि नहीं मिलने से गति नहीं पकड़ रहा कार्य, किसानों को अभी ढाई साल से अधिक करना होगा इंतजार

बारां. एक दशक तक परवन वृहद् सिंचाई परियोजना की मंजूरी की मांग राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ में फंसी रही, अब लगभग दो साल से परियोजना को पर्याप्त राशि नहीं मिल रही। अब हाल यह है कि इस परियोजना के अलग से बनाए गए जल संसाधन का खंड कार्यालय झालावाड़ राज्य सरकार के मुट्ठी बांधे रहने से काम को गति नहीं दे पा रहा। परियोजना की अन्तिम प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति (कुल लागत) ७३५५.२३ करोड़ रुपए २२ मई २०१८ को जारी की गई थी। इसके बाद परियोजना का कार्य टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर शुरू कराया गया, लेकिन बीते डेढ़ साल में परियोजना को के बांध क्षेत्र के डूब में आने वाली जमीनों के साथ बांध की दोनों नहरों के लिए उपलब्ध कराए बजट का बड़ा हिस्सा काम में आ गया। अब फव्वारा सिंचाई पद्धति के लिए किसानों की जमीन अवाप्त कर उसमें पाइप लाइन बिछाई जानी है, लेकिन इसके लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों की उदसीनता आड़े आ रही है।
इस वर्ष में चाहिए १७५० करोड़
परियोजना के कार्य को गति देने के लिए कम से कम २७०० करोड़ रुपए परवन वृहद् सिंचाई परियोजना खंड को चाहिए, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार ने हाल ही पेश बजट में महज ८६६ करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया है, जो एक तिहाई मात्र है। वित्तीय वर्ष २०१९-२० में ३०० करोड़ रुपए विभागीय स्तर पर मांगे गए थे, जो भी पूरे नहीं मिले। इस बारे में पूछने पर परियोजना से जुड़े अधिकारी सवाल को टालते हुए इतना ही कहते हैं कि काम तो चल ही रहा है, लेकिन इसकी गति को लेकर कुछ भी नहीं बोलते। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्षी भाजपा नेता भी चुनाव निकल जाने के बाद परियोजना पर ध्यान नहीं दे रहे।
बढ़ाया बिजली कारखानों का पानी
पूर्व में १७ सितम्बर २०१३ को जब मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था, तब इसका सिंचाई का रकबा १.३१ लाख हैक्टेयर निर्धारित किया गया था। वर्ष २०१७ में इसे बढ़ाकर २.०१ लाख हैक्टेयर किया गया, लेकिन इसके साथ ही छबड़ा थर्मल पावर प्लांट व निजी क्षेत्र के अडानी पावर प्लांट के लिए आरक्षित ५० मिलियन घन मीटर पानी को बढ़ाकर ८५.०८ घन मीटर कर दिया है।
धीमी गति से बिछ रही पाइप लाइन
गत वर्ष दिसम्बर माह में परियोजना के सिंचित क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाने के लिए खेतों में खड़ी फसलों के लिए मुआवजा दिया जाना तय किया गया। यह कार्य कराया भी जा रहा है, लेकिन बीते फरवरी माह तक महज २३.५३ हैक्टेयर में ही पाइप लाइन बिछाई जा सकी। इसके लिए १३.९४ लाख का मुआवजा प्रभावित किसानों को दिया गया है। ऐसे में बारां, झालावाड़ व कोटा जिलों की २ लाख १ हजार हैक्टेयर में परियोजना से सिंचित क्षेत्र में बांध का पानी पहुंचने का अनुमान लगाया जा सकता है। परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने पूर्व में इसके निर्माण में एक वर्ष का विलम्ब होने की आशंका जताई थी, अब यह अवधि और भी बढ़ सकती है।
भाजपा व कांग्रेस पार्टियां गंभीर नहीं
परियोजना के लिए कई बरसों तक संघर्ष करने वाले किसान नेता पवन यादव, भारतीय किसान संघ के अमृत छजावा व किसान महापंचायत के प्रांत संयोजक सत्यनाराण सिंह का कहना है कि इस परिजना की कल्पना डेढ़ दशक पूर्व की गई थी। तीन बार शिलान्यास के बाद अब भी परियोजना के लिए वांछित बजट उपलब्ध नहीं कराने से किसानों की उम्मीद बढ़ती जा रही है। प्रदेश में सरकारें चाहे भाजपा व चाहे कांग्रेस की रही हो, दोनों ही किसानों को लॉलीपाप देने में पीछे नहीं है।
-जैसे-जैसे सरकार बजट उपलब्ध करा रही है, उसके अनुसार प्राथमिकता से कार्य पूरे कराए जा रहे हैं। पूर्व में परियोजना के बांध का कार्य २०२१ में पूरा होना था, अब नई निर्धारित तिथि मई २०२२ तक सम्पूर्ण कार्य पूरा कराने का प्रयास करेंगे। अभी टनल व बांध का काम चल रहा है, लेकिन बांध की दाईं व बाईं मुख्य नहर का निर्माण शुरू नहीं किया जा सका है।
केएम जायसवाल, एसई, परवन खंड, जल संसाधन विभाग झालावाड़
अब पाइए अपने शहर ( Baran News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज