निगम में बसें कम, अनुबंधित ब्रेकडाउन
बारांPublished: Mar 19, 2019 10:44:06 am
रोडवेज के बारां डिपो को जनवरी व फरवरी माह में लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। आखिर मेंं मुख्यालय शिकायत करने पर बारां डिपो की 10 अनुबंधित बसों को झालावाड़ डिपो में स्थानांतरित कर दिया, जबकि झालावाड़ डिपो की 10 अनुबंधित बसों को बारां डिपो भेज गया है।
बारां. अपनों का सौतेला व्यवहार झेल रहे रोडवेज के बारां डिपो के लिए अनुबंधित बसें कोढ़ में खाज बनती जा रही हैं। हालात यह है कि अनुबंधित बसों के बार-बार ब्रेक डाउन होने व नियमित सेवाएं नहीं देने से रोडवेज के बारां डिपो को जनवरी व फरवरी माह में लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। आखिर मेंं मुख्यालय शिकायत करने पर बारां डिपो की 10 अनुबंधित बसों को झालावाड़ डिपो में स्थानांतरित कर दिया, जबकि झालावाड़ डिपो की 10 अनुबंधित बसों को बारां डिपो भेज गया है।
बारां डिपो के अधीन 25 अनुबंधित बसें हैं। प्रति बस को 425 किलोमीटर प्रतिदिन चलाना आवश्यक है। इसके बदले अनुबंधित कंपनी को प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता है। उक्त बसों में परिचालक रोडवेज का रहता है तथा चालक अनुबंधित बस का मालिक उपलब्ध कराता है। यहां 25 अनुबंधित बसों में से 10 बसें न्यू दीप मालवा पंजाब की चल रही थीं, लेकिन ये बसें आएदिन बीच सड़क पर खराब हो जाती थी। जिससे रोडवेज को राजस्व का नुकसान तो होता था। साथ ही नियमित सेवाएं नहीं देने के कारण यात्री भार भी दिनों दिन कम होता जा रहा था। दो बसें जनवरी के पहले ही बस स्टैंड परिसर में खड़ी थी। इनमें से एक बस खराब थी।
चालक चले गए थे हड़ताल पर
अनुबन्धित कंपनी ने बसों का संचालन करने वाले चालकों को लम्बे समय तक मानदेय भी नहीं दिया था। इससे नाराज चालकों ने हड़ताल भी की थी। इससे 22 जनवरी से 3 फरवरी तक 8 बसों का संचालन नहीं हो पाया था। यानि बारां डिपो परिसर में 10 अनुुबंधित बसें खड़ी रही। ऐसे में बारां डिपो की व्यवस्थाएं बिगड़ गई। कई रूटों पर बसों का संचालन बंद करना पड़ा। कुछ के फेरे कम किए गए। इससे नाराज बारां डिपो के अधिकारियों ने मुख्यालय जयपुर में शिकायत की। इसको मुख्यालय ने गंभीरता से लिया। मुख्यालय ने बारां डिपो की उक्त 10 अनुबंधित बसों को झालावाड़ डिपो में स्थानांतरित कर दिया, जबकि झालावाड़ डिपो की बसों को बारां डिपो मेंं लगाया गया। झालावाड़ डिपो से आई बसें पंजाब के एनजीके ग्रुप की है। डिपो को इनका 7.11 रुपए प्र्रतिकिलोमीटर से भुगतान करना पड़ता है।
कर दिया अनुबंध निरस्त
कंपनी की कार्य प्रणाली से रोडवेज के अधिकारी काफी नाराज थे। जनवरी से पहले ही दो बसों का संचालन नहीं हो रहा था। इससे एक बस का अनुबंध ही समाप्त कर दिया गया, जबकि दूसरी को जल्द से जल्द ठीक कराने के आदेश दिए थे। रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि बसों का नियमित संचालन करने के लिए कंपनी के मालिक को कई बार मौखिक व लिखित में कहा था, लेकिन उसने सुनी अनसुनी कर दी थी। साथ ही अनुबंध समाप्त करने की चेतावनी तक दी थी।
7 हजार से ज्यादा किलोमीटर निरस्त
रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि अनुबंधित बसों की खराब स्थिति के कारण जनवरी में 14 बसेें ब्रेक डाउन हुई। यानि कुल 3 हजार 800 किलोमीटर का सफर निरस्त करना पड़े। इसी तरह से फरवरी में 15 बसें निरस्त हुई। इससे 3 हजार 600 किलोमीटर के फेरे निरस्त करने पड़े।