कथा की पूर्णाहुति में उमड़े श्रद्वालु
बारांPublished: Mar 22, 2019 11:19:26 am
कस्बे के भगवान लक्ष्मीनाथ भगवान के मंदिर प्रांगण मे फूल मालियान समाज एवं जनसहयोग से आयोजित नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा का समापन पूर्णाहुति के साथ हो गया। इसके बाद कथावाचक सुरेश योगी की शोभायात्रा निकाली गई। मुख्य यजमान छीतरलाल सुमन कथा ग्रन्थ को सिर पर लिए हुए चल रहे थे।
बोहत. कस्बे के भगवान लक्ष्मीनाथ भगवान के मंदिर प्रांगण मे फूल मालियान समाज एवं जनसहयोग से आयोजित नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा का समापन पूर्णाहुति के साथ हो गया। इसके बाद कथावाचक सुरेश योगी की शोभायात्रा निकाली गई। मुख्य यजमान छीतरलाल सुमन कथा ग्रन्थ को सिर पर लिए हुए चल रहे थे।
कथा समिति से जुड़े सरपंच ओमप्रकाश सुमन, ग्यारसीराम सुमन, छीतरलाल सुमन, लेखराज, राजेन्द्र, चन्द्रप्रकाश ने बताया कि कथा का वाचन सुरेश योगी ने किया। उन्होंने पूर्णाहुति से पूर्व की कथा में कहा कि भगवान की कथा कभी पूर्ण नहीं होती, अपितु कथा विश्राम लेती है। कथा की पूर्णाहुति के लिए पंचकुण्डो मे आहुतियां देने के लिए समाज के लोगो ने रविवार रात्रि से बोली लगाना शुरू किया, सोमवार दोपहर बाद तक चली। आयोजन समिति की ओर से प्रसाद वितरण किया गया। कथा में आसपास के भी श्रद्धालु पहुंचे।
डेढ बीघा भूमि दान की
कथा के दौरान छीतरलाल सुमन ने भाइयों की सहमति से अपनी पैतृक डेढ़ बीघा भूमि भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर के नाम दान देने की घोषणा की। उनका माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया।
ढाई कड़ी दोहे की रामलीला
मांगरोल. यहां चैत्र नवरात्र में हर वर्ष होने वाली ढाई कड़ी दोहे की रामलीला मंचन के लिए बैठक कुंज भवन में हुई। जिसमें कुंज भवन निर्माण के 100 बरस पूरे होने पर श्रीराम की प्रतिमा लगाने का निर्णय किया गया। ढाई कड़ी दोहे की रामलीला मंचन के लिए आयोजित बैठक में राजेन्द्र सोनी अध्यक्ष, ओमप्रकाश शर्मा व रामू दफ्तरी उपाध्यक्ष, सत्यनारायण गौतम व नरेन्द्र सोनी सचिव रामपाल टेलर व नंदकिशोर चौरासिया को भी शामिल किया गया। रामलीला की गठित समिति में हरिओम अग्रवाल, नंदन सोनी, लोकेश लक्षकार, गुलाबचंद गोचर, बलराम सोनी, कर्मवीर शर्मा, पुष्पचंद परिहार, छीतर सेन, शंभू पालीवाल, नितिन परिहार को जिम्मेदारी दी गई। श्रीराम बारात संयोजक कुश परिहार, हितेश शर्मा, अनिल शर्मा को व संगठन मंत्री सुरेश परिहार कार्यालय मंत्री सत्यनारायण सोनी को बनाया गया। बैठक में संरक्षक राधेश्याम पुजारी परमानंद झाड़ोलिया, बाबूलाल सुमन, चतुर्भज सेन मांगीलाल सलावट व मदनलाल सोनी भी मौजूद थे।