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पूरे साल बैसाखियों के सहारे हुई पढ़ाई

बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के बावजूद कस्बे के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षण व्यवस्

बारांFeb 17, 2018 / 08:52 pm

Shivbhan Sharan Singh

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State Model High Secondary Schools

हरनावदाशाहजी. बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के बावजूद कस्बे के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में गणित, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षण व्यवस्था पूरे शिक्षण सत्र में काम चलाऊ व्यवस्थाओं के सहारे जारी रही। ऐसे में बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे परीक्षार्थी भी कोर्स पूरा नहीं होने से परीक्षा परिणाम पर पडऩे वाले असर से आशंकित नजर आते है। विद्यालय में स्वीकृत कुल 28 पदों में से 11 पद अर्से से रिक्त पड़े है। जिससे शिक्षण कार्य के साथ-साथ अन्य कार्य भी बाधित हो रहे है। प्रधानाचार्य रतनलाल मेहरा का कहना है कि रिक्त पदों के लिए समय-समय पर उच्चाधिकारियों को लिखा गया, लेकिन इंतजार करते-करते पूरा सत्र ही निकल गया।
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कामचलाऊ व्यवस्था पर निर्भर
स्कूल में गणित व विज्ञान विषय के द्वितीय श्रेणी अध्यापकों के पद काफी समय से रिक्त है। ऐसे में कक्षा 9 व दसवीं के बच्चों को पढ़ाने के लिए शुरु से ही वैकल्पिक व्यवस्थाओं का सहारा लिया गया तो बीएड कर रहे छात्र शिक्षकों को इंटर्नशिप के दौरान कक्षाएं संभलाई गई। ऐसे में छात्र -छात्राओं का कहना है कि इन दोनो विषयों का न तो उनका कोर्स पूरा हुआ है और न ही पढ़ाई ठीक से हो पाई। जबकि स्कूल में भूगोल विषय का व्यायाता का पद भी रिक्त है।
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और भी पड़े है कई पद रिक्त
विद्यालय में प्रथम व द्वितीय श्रेणी के शिक्षकों के साथ साथ हिंदी व अंग्रेजी विषय के तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद भी रिक्त है। लाइब्रेरियन के अभाव में धूल खा रही लाइब्रेरी भी जैसे तैसे ही चल रही है। जबकि लिपिक के भी तीन पदों में से एक पद ही भरा हुआ है। सहायक प्रशासनिक अधिकारी व कनिष्ठ लिपिक भी सालों से नहीं है। जबकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के अभाव में भी परेशानियां बरकरार है। जिनके लिए कई बार आगे लिखा जा चुका है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
कम पड़ती है जगह
विद्यालय में करीब साढ़े छह सौ छात्र-छात्राओंं का नामांकन है। जिनके लिए कमरे भी बने हुए है, लेकिन विद्यालय परिसर में बच्चों को एक साथ बिठाने के लिए जगह कम पड़ती है। इसका नजारा शुक्रवार को देखने को मिला जब प्रधानमंत्री की मन की बात कार्यक्रम का सीधा प्रसाारण दिखाने के लिए बच्चों को खुले प्रांगण में ही बिठाया गया। जहां पर शोर गुल के बीच तेज धूप के कारण टीवी स्क्रीन भी शायद बच्चे ठीक तरह से देख नहीं पाए।

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