जगह की तंगी से हाट में नहीं हो रहे ठाठ
शुक्रवार को वाले हाट में रेलमपेल
बारां
Published: March 04, 2022 09:37:11 pm
बारां. शहर ने बीते पांच दशकों में विकास के कई सौपान तय किए हैं। परकोटा क्षेत्र में सिमटा रहने वाला शहर इस अवधि में नेशनल हाई-वे कोटा, झालावाड़ रोड पर कलमंडा, मांगरोल रोड पर कर्माजी की बावड़ी तथा शाहाबाद रोड पर फतेहपुर के निकट से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्ग तक जा पहुंचा। लेकिन हाट बाजार अब भी सब्जी मंडी क्षेत्र में ही लग रहा है। हाट बाजार में दैनिक उपभोग की अधिकांश वस्तुएं व सामग्री मिलने से शहर ही नहीं आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचते हैं। एसे में सब्जी मडी क्षेत्र में दिनभर धक्के खाते हुए खरीदारी की मजबूरी होती है। शहर के लोग अरसे से सब्जी मंडी का स्थान बदलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन नगर परिषद के अधिकारी शहर में उपयुक्त स्थान नहीं होने की जानकारी देकर पल्ला झाड़ लेते हैंं।
पूर्व में सर्राफा बाजार में लगता था हाट
आजादी के पूर्व से बारां में हाट बाजार लग रहा है। पूर्व में हाट बाजार शहर के वर्तमान सर्राफा बाजार निकट स्थित पुराना थाना क्षेत्र में लगता था। इसका प्रमुख कारण तब शहर में कृषि मंडी का कारोबार गाड़ी अड्डा क्षेत्र में होता था। ऐसे में किसान हाट बाजार नजदीक होने से अपने बैल गाड़ी अड्ड़े में छोड़कर हाट में जरूरत के सामानों की खरीद के लिए पहुंचते थे। लेकिन बाद में जगह की तंगी के चलते कृषि मंडी नए परिसर में संचालित की जाने लगी। इसके बाद हाट बाजार सब्जी मंडी क्षेत्र में संचालित होने लगा।
सरकार दे रही हाट बाजार को बढ़ावा
राज्य सरकार प्रदेश में हाट बाजारों को बढ़ावा दे रही है। हाल ही में घोषित बजट कई जिला व उपखंड मुख्यालयों पर हाट बाजार विकसित करने की घोषणा की है। लेकिन इसमें बारां का नाम नहीं है, इससे प्रतीत होता है कि बारां के जनप्रतिनिधि में इसमें रुचि नहीं ले रही। जबकि हाट बाजार के नए रूप में देश के सभी बड़े कस्बों में शोपिंग माल व मार्ट खुल रहे हैं। हालांकि इनमें उच्च व मध्यम आय वर्ग के लोग खरीदारी को तरजीह देते हैं। जिले के कई गांव व कस्बों में आज भी लोगों को साप्ताहिक लगने वाल हाट बाजारों का इंतजार रहता है।
उत्पादक से उपभोक्ता का सीधा जुड़ाव
हाट बाजारों में कई लोग अपने उत्पाद लेकर पहुंचते हैं। चने व मैथी की पांसी (सब्जी), सूखे बैर, मनिहारी के सामान, लोहे घरेलू उपयोग में आने वाले औजार (चिमटा, कढ़ाई, आदि) समेत कई प्रकार के सामान एक ही जगी सहज उपलब्ध होते हैं। ऐसे में लोग खरीदारी के लिए हाट बाजारों में पहुंचते हैं। एक कारण लोगों का पारम्परिक वस्तुओं से जुड़ाव होना भी होता है।
-हाट बाजार क्षेत्र में कई स्थायी दुकानें लगने से जगह की तंगी हो रही है। लोगों की मंशा के अनुरूप शहर में ऐसा स्थल चिन्हित करेंगे जहां खरीदारों के साथ आवाजाही सुगम हो तथा वाहन पार्किंग की भी सुविधा हो। इसे लेकर बोर्ड के बैठक में विस्तार से चर्चा भी की जाएगी।
-ज्योति पारस, सभापति नगर परिषद बारां

जगह की तंगी से हाट में नहीं हो रहे ठाठ
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