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गठबंधन के बाद भी सपा-बसपा की राह नहीं होगी आसान, जानिए कारण

locationबरेलीPublished: Jan 14, 2019 03:47:35 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

मंडल की पांच में से चार सीट पर है भाजपा का कब्जा

बरेली।लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ है। सपा और बसपा आने वाले चुनाव में 38-38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। भले ही दोनों दल गठबंधन कर भाजपा को हराने की बात कर रहे हो लेकिन बरेली मंडल में गठबंधन की राह आसान नहीं नजर आ रही है। मंडल की पांच में से चार सीट पर भाजपा का कब्जा है जबकि एक सीट सपा के खाते में है। बरेली और पीलीभीत सीट पर भाजपा के प्रत्याशी बड़े अंतर् से चुनाव जीते थे और दोनों ही सीट पर सपा-बसपा के वोट मिला भी दिए जाए तो भी वो मुकाबले में नहीं नजर आते है जबकि आंवला और शाजहांपुर सीट पर दोनों पार्टी के वोट मिला देने के बाद जीत का अंतर् मामूली रह जाता है।
बरेली सीट पर संतोष का चलता है सिक्का

बरेली लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने सात बार जीत हासिल की है। इस सीट पर सपा और बसपा का प्रत्याशी कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाया है। ऐसे में इस सीट पर गठबंधन की राह आसान नहीं है।2014 के चुनाव में इस सीट पर संतोष गंगवार ने बड़ी जीत हासिल की थी और उन्हें सपा, बसपा और कांग्रेस के कुल वोट से ज्यादा वोट मिले थे। मोदी लहर में संतोष गंगवार को 5,18,258 वोट मिले जबकि दूसरे नम्बर पर रही सपा की आयशा इस्लाम को 2,77,573 वोट ही हासिल हुए और संतोष गंगवार ने 2,40,685 वोटों से जीत हासिल की इस चुनाव में बसपा के उमेश गौतम को 106049 और कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन को 84213 वोट ही हासिल हुए। इस चुनाव में संतोष गंगवार को 2009 के चुनाव की तुलना में 20.91 प्रतिशत ज्यादा वोट प्राप्त हुए और उन्होंने सपा, बसपा और कांग्रेस के कुल वोटो से ज्यादा वोट मिले। 2014 के चुनाव में संतोष गंगवार को 50.09 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे।
पीलीभीत पर मेनका गांधी का कब्जा

पीलीभीत लोकसभा सीट से मेनका गांधी छह बार चुनाव जीत चुकी है जबकि एक बार उनके बेटे वरुण गांधी ने जीत हासिल की है। पीलीभीत सीट पर भी सपा और बसपा कभी चुनाव नहीं जीती है। 2014 के चुनाव के आंकड़े देखे तो गठबंधन को यहाँ भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पिछले चुनाव में मेनका गांधी ने 546934 वोट हासिल किए थे और उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी। इस चुनाव में सपा के बुद्धसेन वर्मा को 239882 जबकि बसपा के फूलबाबू को 196294 वोट मिले थे। इन दोनों के कुल वोट 436176 भी मेनका गांधी के 546934 वोट से बहुत पीछे है।यानि पिछले चुनाव में मेनका गांधी ने गठबंधन से 110758 वोट ज्यादा हासिल किए थे। ऐसे में इस अंतर् की भरपाई करना गठबंधन के लिए आसान नहीं है।
आंवला और शाजहांपुर में थोड़ी राहत

मंडल की बदायूं सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है और यहाँ से धर्मेंद्र यादव सांसद है। मोदी लहर के बाद भी धर्मेंद्र यादव ने यहाँ पर बड़ी जीत हासिल की थी। गठबंधन के कारण इस बार सपा की राह इस सीट पर और आसान हो गई है। वही बात करें अगर आंवला और शाजहांपुर सीट की तो इन लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में गठबंधन को भाजपा से ज्यादा वोट मिले थे। आंवला में भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप 409907 वोट हासिल कर जीते थे तो सपा के सर्वराज सिंह को 271478 और बसपा की सुनीता शाक्य को 190200 वोट मिले थे। इन दोनों को धर्मेंद्र कश्यप के 409907 से जायदा 461678 वोट हासिल हुए थे। इसी तरह शाजहांपुर में कृष्णा राज 525132 वोट पाकर चुनाव जीती थी। यहाँ पर बसपा के उम्मेद सिंह को 289603 और सपा के मिथलेश कुमार को 242913 वोट हासिल हुए थे दोनों ने कृष्णा राज के मुकाबले 7384 वोट ज्यादा हासिल किए थे।

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