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बरेली

पानी के श्रोत हो रहे हैं गायब, कैसे बुझेगी प्यास

गर्मी का प्रकोप शुरू होते ही हमे पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है जिसका सबसे बड़ा कारण है प्राकृतिक जल श्रोतों पर हुए अवैध कब्जे।

बरेलीMay 16, 2019 / 09:21 pm

अमित शर्मा

Jalam Aritam

पानी के श्रोत हो रहे हैं गायब, कैसे बुझेगी प्यास

बरेली। अगर अभी नहीं चेते तो हमारी आने वाली पीढ़ी पानी के लिए तरस जाएगी। दरअसल में शहर में तेजी से खड़े हो रहे कंक्रीट के जंगल ने हमारे प्राकृतिक जल श्रोतों को गायब कर दिया है। शहर में अफसरों की मिलीभगत से तालाब, नहर और नदियों की जमीन पर अवैध कब्जे होते रहे लेकिन जिम्मेदार लोग अपनी आँख बंद किए बैठे रहे जिसका असर यह हुआ कि आज शहर से ज्यादातर प्राकृतिक जल श्रोत गायब हो गए है इसका खामियाजा हमे आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा।
तालाब हुए गायब

गर्मी का प्रकोप शुरू होते ही हमे पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है जिसका सबसे बड़ा कारण है प्राकृतिक जल श्रोतों पर हुए अवैध कब्जे। नगर निगम में 164 तालाब दर्ज है लेकिन इनमे से ज्यादातर तालाब गायब हो चुके है और जो तालाब बचे है उन पर भी भू माफियाओं की नजर है। कुछ यही हाल शहर से गुजरने वाली किला और नकटिया नदी का भी है। इन दोनों नदियों पर भी कब्जा हो चुका है और अब ये दोनों नदियों ने नाले का रूप ले लिया है।
नहर हो गई गायब

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 1962-63 के दौरान शारदा कैनाल से रजवाह बरेली के नाम से ब्रांच नहर रिछा से निकाली गई थी। इससे सिंचाई होती थी। 41.834 किमी. लंबी यह नहर शहर से सटे गांव पीर बहोड़ा, परतापुर, नवादा, तुलापुर होते हुए बीसलपुर मार्ग पर हरूनगला आती है। करीब 30 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा हो चुका है। नहर को पाट कर इसके ऊपर बड़ी बड़ी कालोनियां बन चुकी है।
सरकार के आदेश भी बेअसर

प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद जल श्रोतों से अवैध कब्जे हटाने की बात कही गई थी और भू माफियाओं पर भी कार्रवाई की बात कही गई थी लेकिन समय गुजरने के साथ ही सरकार का ये आदेश भी बेअसर साबित हो गया है और जल श्रोतों से अवैध कब्जे नहीं हट पाए हैं। ये हाल तब है जब प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह खुद बरेली जिले के रहने वाले हैं।
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