बरेली

रुहेलखंड विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति अवैध, नियुक्ति के मामले में फंसे कुलपति

MJPRU महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर फर्जी नियुक्ति किए जाने का मामला सामने आया है।

बरेलीApr 27, 2024 / 08:27 pm

Avanish Pandey

बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह लगातार आरोपों में घिरते जा रहे हैं। करोड़ों की हेराफेरी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब प्राचीन इतिहास विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर की फर्जी नियुक्ति के मामले में भी उन पर आरोप लगे हैं। मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई।
अप्रैल 2023 में आवेदकों के लिए गए थे इंटरव्यू
पीड़ित संतोष सिंह ने बताया कि अप्रैल 2023 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय की सलेक्शन कमेटी ने आवेदकों के इंटरव्यू लिए थे। इसका परिणाम मई 2023 में जारी किया गया। संतोष सिंह का आरोप है कि सलेक्शन कमेटी ने मनमानी करते हुए डॉ. प्रिया सक्सेना का सलेक्शन कर लिया। आरोप है कि असोसिएट प्रोफेसर के पद पर डॉ. प्रिया सक्सेना उत्तर प्रदेश अधिनियम और यूजीसी के मानकों के अनुसार मुख्य पात्रता आठ वर्ष का अनुभव ही पूरा नहीं कर पा रही हैं।
आरटीआई का नहीं दिया जवाब
संतोष सिंह ने जून 2023 में कुलपति, रजिस्ट्रार, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, हायर एजुकेशन परिषद आदि से मामले की शिकायत की। कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने आरटीआई लगाकर नियुक्ति के संबंध में जानकारी मांगी, लेकिन रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने उन्हें आरटीआई का जवाब ही नहीं दिया। इसके बाद संतोष सिंह ने आरजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की।
रजिस्ट्रार ने शासन को भेजी रिपोर्ट, डॉ. प्रिया को ही माना स्थाई
मामले में रजिस्ट्रार ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी है। रिपोर्ट के मुताबिक रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने डॉ. प्रिया सक्सेना को ही स्थाई मान लिया है। हालांकि उन्हें किस आधार पर स्थाई नियुक्ति दी गई है। इसका जिक्र नहीं किया गया है। डॉ प्रिया सक्सेना गेस्ट फैकल्टी थी । इसके आधार पर उनका अनुभव को जोड़ा नहीं जा सकता है, लेकिन रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने गेस्ट फैकल्टी के अनुभव को आधार बनाकर उनकी अवैध तरीके से नियुक्ति कर दी।

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