script

बरेली में भी जली थी भारत छोड़ो आंदोलन की अलख

locationबरेलीPublished: Aug 08, 2018 02:14:22 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

देश भर में हुए इस आंदोलन में बरेली की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी।

बरेली। देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के लिए न जाने कितने ही आंदोलन हुए और तमाम क्रांतिकारी शहीद हुए। आजादी की लड़ाई में भारत छोड़ो आंदोलन की भी अहम भूमिका रही। प्रसिद्ध काकोरी काण्ड के ठीक 17 साल बाद महात्मा गांधी के आह्वाहन पर नौ अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। देश भर में हुए इस आंदोलन में बरेली की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी। इस आंदोलन में शामिल बरेली के कई क्रांतिकारी जेल भी भेजे गए लेकिन ये आंदोलन चलता रहा। भारत छोड़ो आंदोलन भले ही सफल न हुआ हो लेकिन इसका दूरगामी परिणाम सुखदाई रहा और इस आंदोलन को देश की आजादी के लिए किया गया अंतिम महान प्रयास कहा गया।
इन लोगों की हुई थी गिरफ्तारी

लेखक सुधीर विधार्थी ने अपनी किताब बरेली एक कोलाज में भारत छोड़ो आंदोलन का विस्तार से जिक्र किया है। किताब में बताया गया है कि आंदोलन के पहले दिन सुबह ही बरेली के प्रमुख नेता धर्मदत्त, पंडित दीनानाथ मिश्रा, सेठ दामोदर स्वरूप, दरबारी लाल शर्मा, चिरंजीवलाल गुप्ता, बृजमोहन लाल शास्त्री, मोहनलाल यदुवंशी जैसे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उत्साही युवा इस आंदोलन से जुड़े रहे और आंदोलन को उग्र कर दिया।
उग्र हुआ था आंदोलन

आंदोलन के दौरान ही बाबा ए रुहेलखंड के नाम से प्रसिद्ध ताराचंद्र रस्तोगी ने अपने दोस्त इकराम और विश्वेश्वर दयाल मिश्रा के साथ मिलकर मुहाफिजखाने में आग लगा दी थी। इस काम में कलेक्ट्रेट के कर्मचारी पीडी जोशी का भी अहम योगदान रहा। इन लोगों ने आंदोलन के दौरान रेल की पटरी उखाड़ने और अंग्रेज सिपाही पर गोली चलाने का कार्य किया था। इन्हे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।
आज भी मौजूद है आजादी की निशानियां

आजादी की लड़ाई में बरेली की अहम भूमिका रही है और आजादी की लड़ाई की तमाम निशानियां बरेली में अभी भी मौजूद है। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में शहीद हुए क्रांतिकारियों की याद में कमीश्नरी में शहीद स्तम्भ बनाया गया है। आजादी की लड़ाई में बरेली कॉलेज का भी अहम योगदान रहा है। बरेली कॉलेज की इमारत सिर्फ एक शिक्षण संस्थान ही नही है बल्कि इस इमारत के सीने में आजादी की लड़ाई की तमाम कहानियां दफन है। इसके साथ ही नौमहला मस्जिद और खान बहादुर खान की मजार भी आजादी की निशानी है।

ट्रेंडिंग वीडियो