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CM Yogi के फैसले पर बरेलवी मसलक की मुहर, फतवे में कहा- जबरन धर्म परिवर्तन कराना नाजायज

locationबरेलीPublished: Dec 02, 2020 02:52:51 pm

Submitted by:

lokesh verma

Highlights
– बरेली मसलक के रजवी दारूल इफ्ता ने जारी किया फतवा
– फतवे में कहा- गैर मजहब की लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराना नाजायज
– कहा- लव जिहाद की बुराई पश्चिमी सभ्यता के जरिये फैली

CM yogi

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बरेली. उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन कराने को लेकर योगी सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर बरेली मसलक नेे भी अपनी मुहर लगा दी है। बता दें कि कानून बनने के बाद पहला केस भी बरेली में ही दर्ज हुआ था। अब बरेली मसलक के उलेमा ने भी इसको लेकर पहला फतवा जारी कर दिया है। दरगाह-ए-आला हजरत स्थित रजवी दारूल इफ्ता ने फतवा जारी करते हुए साफ कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन कराना इस्लाम में नाजायज है। लव जिहाद पश्चिमी सभ्यता से आया है।
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गौरतलब है कि दुनियाभर में सुन्नी बरेलवी मसलक अलग पहचान रखता है। बरेलवी मसलक से जुड़े मुसलमानों को यहां से मजहबी एतबार की जानकारी फतवों के रूप में दी जाती है। दरगाह-ए-आला-हजरत सुन्नी बरेलवी मसलक का मरकज है। राष्ट्रीय सुन्नी उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी ने मरकज दारूल इफ्ता के मुफ्तियों से लव जिहाद को लेकर सवाल किया कि क्या कोई मुस्लिम किसी गैर मुस्लिम युवती से शादी के लिए धोखाधड़ी करके उसका मजहब बदलवा सकता है? क्या शरीयत में लव-जिहाद का जिक्र है? अपना मकसद पूरा करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करने वालों के लिए शरीयत की नजर में क्या हुक्म है?
शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना या कराना नाजायज

इस सवाल के जवाब में रजवी दारूल इफ्ता अध्यक्ष मुफ्ती मुतीबुर्रहमान रजवी ने एक फतवा जारी किया है, जिसकी मौलाना अर्स्सलान खान अजहरी ने तस्दीक की है। इस फतवे पर मौलाना अर्स्सलान खान और मुफ्ती मुतीबुर्रहमान रजवी के हस्ताक्षर भी हैं। रजवी ने जबरन धर्म परिवर्तन कराने को नाजायज करार देते हुए कहा है कि इस तरह शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना या कराना नाजायज है। इस फतवे में वेस्ट यूपी के एक जिले में दलित परिवार द्वारा मर्जी से इस्लाम कबूल करने का उल्लेख है। उन्होंने कहा है कि इस उदाहरण से माना जा सकता है कि मर्जी से धर्म परिवर्तन करना एतराज के काबिल नहीं है।
लव जिहाद सामाजिक बुराई

फतवा मांगने वाले मौलाना कादरी का कहना है कि दूसरे धर्म की तो छोड़िए अपने धर्म में भी इस तरह शादी की इजाजत नहीं है। हमारा संविधान और कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। वहीं, इस्लाम में लव जिहाद के लिए भी कोई स्थान नहीं है। यह एक सामाजिक बुराई है, जो पश्चिमी सभ्यता के जरिये फैली है। शिक्षा और संस्कारों के जरिये इस पर अंकुश लगाना जरूरी है।
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