scriptईद के पहले दरगाह आला हजरत ने देश भर के मुसलमानों से की खास अपील | Before Eid Dargah Ala Hazrat had special appeal to Muslims | Patrika News

ईद के पहले दरगाह आला हजरत ने देश भर के मुसलमानों से की खास अपील

locationबरेलीPublished: May 28, 2019 02:03:27 pm

Submitted by:

jitendra verma

दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि हर बालिग और नाबालिग इंसान को सदका ए फ़ित्र अदा करने का हुक़्म अल्लाह ने दिया है।

Before Eid Dargah Ala Hazrat had special appeal to Muslims

ईद के पहले दरगाह आला हजरत ने देश भर के मुसलमानों से की खास अपील

बरेली। दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि हर बालिग और नाबालिग इंसान को सदका ए फ़ित्र अदा करने का हुक़्म अल्लाह ने दिया है। एक शख्स पर 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उसकी आज के बाजार कीमत अदा करना वाजिब है। आज के बाजार मे इसकी कीमत लगभग 46 रुपए है। सदका ए फ़ित्र की रकम ज्यादा हो तो बेहतर है लेकिन कम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 50 रुपए या उससे जायदा भी दे सकते है।
मालदार मुस्लिम पर जकात फर्ज

सज्जादानशीन के बयान की जानकारी देते हुए नासिर कुरैशी ने बताया कि मुफ़्ती अहसन मियां ने कहा कि हर साहिबे निसाब (शरइ मालदार) मुसलमानों के माल पर गरीबों और मिस्कीनों का हक़ है। ज़कात अल्लाह ने मालदार मुसलमान पर फर्ज़ की है। जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े 52 तोला चांदी या इसकी बाजार कीमत का माल, रूपए जिसके पास है वो साहिबे निसाब मुसलमान कहलाता है। इस पर अल्लाह ने ज़कात फर्ज़ की है। उसे अपने कुल माल का 2.5% हिस्सा यानि 100 रुपए पर 2.50 रुपए गरीबों, यतीमों, बेवाओं को देना है। औरत अपने ज़ेबर (गहनों) कि मालिक खुद है अगर औरत के पास सोना चांदी मिलाकर साढ़े 52 तोला चांदी की कीमत बनती है तो उस पर ज़कात फर्ज़ है। शौहर पर उसकी ज़कात फर्ज़ नहीं शौहर चाहे दो दे चाहे तो न दे। बीवी अपने माल की खुद ज़कात अदा करेगी। वहीं बाप अपनी बालिग औलाद की तरफ से या शौहर बीवी की तरफ से ज़कात या सदका ए फ़ित्र देना चाहे तो बगैर इज़ाज़त के नहीं दे सकता। ज़कात अंदाज़े से नहीं बल्कि एक एक पैसे का हिसाब करके निकालनी चाहिए तभी सही तौर पर ज़कात अदा होगी। जिसने अभी तक सदका ए फ़ित्र और ज़कात अदा नहीं की है, बेहतर ये है कि वो जल्द से जल्द अदा कर दे ताकि गरीब मुसलमान भी ईद की खुशियों मे शामिल हो सके ।
खेलो पत्रिका Flash Bag NaMo9 Contest और जीतें आकर्षक इनाम, कॉन्टेस्ट मे शामिल होने के लिए http://flashbag.patrika.com पर विजिट करें।

किसे दे सकते हैं जकात

हदीस मे आया है कि अल्लाह उसके सदके को क़ुबूल नहीं करता जिसके रिश्तेदार मोहताज़ हो और वो दूसरों पर खर्च करें। अफ़ज़ल है कि ज़कात पहले अपने अजीज़ ज़रूरतमंद को दे नियत ज़कात हो उन्हें तोहफा या क़र्ज़ कहकर भी देंगे तो ज़कात अदा हो जाएगी इसलिए ज़कात की रकम भाई-बहन, चाचा, मामू, खाला, फूफी, सास-ससुर, बहु, दामाद, सौतेले माँ- बाप को भी दे सकते है बशर्ते कि ये लोग साहिबे निसाब न हो। सुन्नी मदरसे और यतीमख़ानों को भी ज़कात दे सकते है। जबकि माँ- बाप, दादा-दादी, नाना- नानी, बेटा- बेटी, पोता-पोती, नवासा- नवासी को ज़कात नहीं दी जा सकती। कफन दफ़न मे तामीरे मस्जिद और मिलाद पाक कि महफिल मे ज़कात का रूपए खर्च नहीं कर सकते किया तो ज़कात अदा नहीं होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो