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बेहाल जरी कारीगर, सरकार से मदद की गुहार

locationबरेलीPublished: Oct 23, 2017 03:38:05 pm

किसी जमाने में बरेली का जरी उद्योग विदेशों में भी अपनी अलग पहचान रखता था लेकिन अब ये उद्योग बदहाली के कगार पर पहुंच गया।

Brocade craftsman
बरेली। किसी जमाने में देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी धाक जमाने वाला जरी उद्योग आज बदहाल है। आलम यह है कि इस उद्योग से जुड़े कारीगर भी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं तो तमाम लोग रोजी रोटी के लिए दूसरे शहरों में पलायन कर चुके हैं। अगर सरकार ने इस उद्योग को संजीवनी नहीं दी तो जरी उद्योग को बंद होने से नहीं बचाया जा सकता है। इस काम से जुड़े तमाम कारीगर मानते हैं कि जीएसटी और नोट बंदी ने जरी उद्योग की कमर तोड़ दी है। लाख कोशिशों के बाद भी जरी उद्योग सम्भल नहीं सका है।

दूसरे काम में जुटे कारीगर

किसी जमाने में बरेली का जरी उद्योग विदेशों में भी अपनी अलग पहचान रखता था लेकिन इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से ईमानदार कोशिशें नहीं हुईं जिसके कारण ये उद्योग बदहाली की कगार पर पहुंच गया। नोटबंदी के बाद मंदी की मार ने उद्योग को बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी फिर जीएसटी ने जरी के काम को तबाह कर दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि उद्योग से जुड़े तमाम कारीगर सड़कों पर आ गए। लोग रोजी रोटी के लिए या तो पलायन कर गए या फिर मजदूरी या रिक्शा चलाने लगे। जरी के काम में तमाम महिलाएं भी जुड़ी हुई थीं जो अब बेरोजगार हो चुकी हैं और दूसरे घरों में काम करने को मजबूर हैं। सुभाषनगर की रहने वाली शबनम, परवीन जैसी तमाम महिलाएं अब जरी का काम छोड़ कर दूसरा काम करने को मजबूर हैं।

सरकार को करनी होगी पहल

इस उद्योग से संकट के बादल छाटने के लिए सरकार को कोई पहल करनी होगी। जीएसटी लगने से इस उद्योग से जुड़े तमाम कारीगर और व्यापारी परेशान हैं। जिसको देखते हुए सरकार को इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे कि इस कारोबार को संजीवनी मिल सके।

बनेगी लिमिटेड कम्पनी

इस उद्योग में जान फूंकने के लिए प्रसिद्ध उद्यमी हाजी शकील कुरैशी ने पहल की है। हाजी शकील जरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अमूल की तर्ज पर लिमिटेड कम्पनी का गठन करने जा रहे हैं जिसके लिए जरी कारीगरों का पंजीकरण किया जा रहा है। हाजी शकील कुरैशी ने बताया कि कोशिश की जा रही है कि दो महीने के भीतर जरी का कारखाना खुल जाए। जिसमें शुरुआत में बीस हजार जरी कारीगरों को रोजगार ? मिलेगा। उन्होंने बताया कि बरेली में करीब साढ़े आठ लाख जरी कारीगर हैं जिनमें ढाई लाख महिलाएं हैं जो आज आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं।इन जरी कारीगरों के लिए एक लिमिटेड कंपनी का गठन किया जाएगा जिसमें हर जरी कारीगर उस कम्पनी का मालिक होगा।
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