उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल सभी मदरसों में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रगान गाना अनिवार्य कर दिया था। साथ ही इसकी वीडियोग्राफी भी कराने के निर्देश दिए थे। योगी सरकार के इस फैसले का जमात रज़ा-ए-मुस्तफा ने विरोध किया था। जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष असजद रज़ा खान ने बरेलवी मसलक के मदरसों में राष्ट्रगान न गाने का फरमान जारी किया था। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद इस मसले को लेकर दरगाह आला हजरत पर प्रदेश भर के उलेमाओं की बैठक भी हुई थी। जिसमें राष्ट्रगान को अंग्रेजों की तारीफ़ में लिखा हुआ बताते हुए राष्ट्रगान न गाने की अपील की गयी थी।
राष्ट्रगान का विरोध किए जाने से नाराज अधिवक्ता वीरेंद्र पाल गुप्ता ने गुरुवार को सीजेएम कुसुम लता राठौर की अदालत में अर्जी दी। उनका कहना है कि राष्ट्रगान का विरोध कर सरकार को खुली चुनौती दी गयी है। विरोध करने वालों ने राष्ट्र के गौरव राष्ट्रगान का अपमान कर राष्ट्रद्रोह का अपराध किया है। उन्होंने राष्ट्रगान का विरोध करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। सीजेएम ने इस अर्जी पर कोतवाली पुलिस से आख्या तलब की है।
राष्ट्रगान ने गाने के मामले में कमिश्नर ने भी दो दिन पहले बयान दिया था कि जिन मदरसों में 15 अगस्त को राष्ट्रगान नहीं गाया गया है और अगर कोई उनकी सबूत के साथ शिकायत करेगा तो उन पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं अब कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की गई है। जिससे माना जा रहा है कि राष्ट्रगान का विरोध करने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।