दरगाह में बरेली ही नहीं आस पास के जिलों के भी तमाम लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुँचते है। लॉक डाउन के बाद भी यहाँ पर बड़ी तादात में मुरीदों की भीड़ जमा थी ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया था। दरगाह के मुत्तावली वाजिद अली ने बताया कि दरगाह पर राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई जगहों के करीब 200 लोग 10 दिनों से मौजूद थे। उन्होंने बताया की जब जनता कर्फ्यू लगा तो उसके अगले दिन 23 मार्च को उन्होंने बारादरी थाने में पत्र लिखकर दरगाह में मौजूद लोगो को उनके घरों पर भेजने के लिए कहा था लेकिन किसी ने इस बात का संज्ञान नही लिया। और देर रात एसपी सिटी रविन्द्र कुमार, एएसपी आईपीएस अभिषेक वर्मा और एडीएम ने थाना बारादरी पुलिस के सहयोग से दरगाह को खाली करवाया।
एएसपी आईपीएस अभिषेक वर्मा का कहना है कि दरगाह पर लोग इलाज कराने के लिए आते है। इन्हें स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा स्क्रीनिंग करवाकर प्राइवेट वाहनों से उनके घरों में भेज दिया गया है और उन्हें अपने अपने घरों में कोरेंटाइन रहने को कहा है। एएसपी का कहना है कि दरगाह परिसर को खाली कराया गया है और अब नगर निगम की टीम से दरगाह को सेनेटाइज कराया जा रहा है।
इसे अंधविश्वास कहे या आस्था वजह चाहे कोई भी हो लेकिन इस दरगाह पर भारी तादात में लोगों की भीड़ उमड़ती है। जिन्हे लगता है कि उनके ऊपर कोई ऊपरी साया है या भूत प्रेत का चक्कर है वो इलाज के लिए इस दरगाह पर आते है। इस दरगाह पर बरेली ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के कोने कोने से लोग इलाज के लिए आते हैं।दरगाह का निर्माण 1582 ई० में हुआ था। दावा किया जाता है कि यहाँ पर ज्यादातर मरीज सात गुरूवार को हाजिरी लगा कर ठीक हो जाते है। यहाँ इलाज के लिए आने वाले की अर्जी लगाई जाती है जिसके बाद भूतों के खिलाफ मुकदमा चलता है और उनकी पेशी होती है और भूतों को सजा दी जाती है।