पूछने पर जवाब मिला मीटिंग में गए डॉक्टर
जब पत्रिका की टीम बाकरगंज स्थित नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले। अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि इस अस्पताल में दो डॉक्टर तैनात हैं। एक डॉक्टर सुबह आते हैं जबकि दूसरे डॉक्टर शाम को आते हैं। लेकिन जब पत्रिका की टीम अस्पताल पहुंची तो पहली शिफ्ट के डॉक्टर अस्पताल से गायब मिले। जब इस बात के जानकारी कर्मचारियों से की गई तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब सीएमओ साहब की मीटिंग में गए हुए हैं। जब इस बारे में सीएमओ डॉक्टर विनीत कुमार शुक्ला से पूछा गया तो उन्होंने मीटिंग से अनभिज्ञता जताई और पूरे मामले की जानकारी लेने की बात कही।
जब पत्रिका की टीम बाकरगंज स्थित नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले। अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि इस अस्पताल में दो डॉक्टर तैनात हैं। एक डॉक्टर सुबह आते हैं जबकि दूसरे डॉक्टर शाम को आते हैं। लेकिन जब पत्रिका की टीम अस्पताल पहुंची तो पहली शिफ्ट के डॉक्टर अस्पताल से गायब मिले। जब इस बात के जानकारी कर्मचारियों से की गई तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब सीएमओ साहब की मीटिंग में गए हुए हैं। जब इस बारे में सीएमओ डॉक्टर विनीत कुमार शुक्ला से पूछा गया तो उन्होंने मीटिंग से अनभिज्ञता जताई और पूरे मामले की जानकारी लेने की बात कही।
मरीजों की लगती है भीड़
बाकरगंज के इस अस्पताल में मरीजों की खासी भीड़ लगती है और यहां प्राथमिक इलाज के साथ साथ नॉर्मल प्रसव भी कराए जाते हैं। अस्पताल में रोजाना 150 से 200 मरीज पहली शिफ्ट में जबकि 50 से 60 मरीज शाम की शिफ़्ट में इलाज के लिए पहुंचते है। बावजूद इसके अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते। ऐसे में सवाल उठता है कि जब शहरी इलाके के अस्पतालों का ये हाल है तो गांवों और कस्बों में स्थिति क्या होगी?
बाकरगंज के इस अस्पताल में मरीजों की खासी भीड़ लगती है और यहां प्राथमिक इलाज के साथ साथ नॉर्मल प्रसव भी कराए जाते हैं। अस्पताल में रोजाना 150 से 200 मरीज पहली शिफ्ट में जबकि 50 से 60 मरीज शाम की शिफ़्ट में इलाज के लिए पहुंचते है। बावजूद इसके अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते। ऐसे में सवाल उठता है कि जब शहरी इलाके के अस्पतालों का ये हाल है तो गांवों और कस्बों में स्थिति क्या होगी?