कई वर्षो वर्ष बाद गंगा अवतरण के समय का बना 10 योगों वाला विशिष्ट संयोगइस दिन अबूझ मुहुर्त देगा पूजा-पाठ, अनुष्ठान का विशेष शुभ फल10 पापों को हरने वाला गंगा दशहरा व्रतकई वर्षो बाद इस बार गंगा दशहरा पर मिले 10 योग
बरेली। गंगा दशहरा इस बार 12 जून को पड़ रहा है और इस बार इस दिन बहुत विशेष योग बन रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण वाले दिन जो 10 योग थे वही 10 योग इस दिन भी बन रहे हैं। इस लिए इस बार गंगा दशहरा का पर्व बहुत ख़ास है। यह अभीष्ट की सिद्धि का दिन है मुख्यतः इस दिन को अबूझ मुहुर्त भी माना जाता है इसमें धार्मिक अनुष्ठान, धान, व्रत आदि का गई गुणा अधिक फल इस बार मिलेगा। यह दिन सम्वतसर का मुख माना गया है।
इस बार बने रहे हैं 10 ख़ास योग बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगा जी का आगमन हुआ था। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी एक प्रकार से गंगा जी का जन्मदिन है। स्कन्द पुराण, बाल्मीकि रामायण आदि ग्रन्थों में गंगा अवतरण की कथा वर्णित है। जिस दिन पूर्वांग में दशमी एवं निम्नलिखित दस योग हों, उस दिन यह व्रत करना चाहिए, यदि दशमी दोनों दिन पूर्वांग में हो तो जिस दिन अधिक योग हों वह दिन लेना चाहिए। दस योग में 1. ज्येष्ठ मास, 2. शुक्ल पक्ष, 3. दशमी तिथि, 4. बुधवार, 5. हस्त नक्षत्र, 6. व्यतीपात योग, 7. गरकरण, 8. आनन्द योग (बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र होने से आनन्द योग बनता है), 9. कन्या राशि का चन्द्रमा, 10. वृष राशि का सूर्य। इन दस योगों में से दशमी और व्यतीपात योग मुख्य हैं। शास्त्रो के अनुसार कई वर्षो बाद गंगा जी के अवतरण के समय भी यही 10 योग थे जो इस बार विशेष रूप से 12 जून बुधवार को घटित हो रहे है।
गंगा दशहरा पर क्या करें इसलिए संकल्पपूर्वक गंगा जी में दस बार गोते लगाकर, गंगा स्नान करके दूध, बताशा, जल, रोली, नारियल, धूपदीप से पूजन करके दान देना चाहिए। इस दिन गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य, भागीरथी तथा हिमालय की प्रतिमा बनाकर पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होने के साथ दस प्रकार के पापों (तीन कायिक, चार वाचिक, तीन मानसिक) का नाश होता है। गंगा दशहरे को जो वस्तुयें उपयोग में ली जाती हैं, उनकी संख्या दस होनी चाहिए। पूजा में दस प्रकार के पुष्प, दशांग धूप, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेध, दस ताम्बूल और दस फल होने चाहिए। परन्तु ब्रह्मणों को दान में दिये जाने वाले यव (जौ) तथा तिल 16 -16 मुट्ठी होनी चाहिए भगवती गंगा सर्वपाप हारिनी है। स्नान करते समय गोते भी दस बार लगाये जाने चाहिए।इस दिन दान देने का विशिष्ट महत्व है एवं आम खाने और आम दान करने का विशिष्ट महत्व है। इस दिन शिवलिंग का पूजन करने एवं रात्रि जागरण करने से अनन्त फल प्राप्त होता है। इसके पश्चात् षोडशोपचार विधि से पूजन के उपरान्त पूजन का निम्नलिखित मंत्र पढ़ना चाहिए ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै, गंगायै नमः अथवा गंगा जी का निम्न मंत्र पढ़ना चाहिए।