बरेली

पाकिस्तान जेल में कितना अत्याचार होता है, इसका उदाहरण है यशपाल

यशपाल ने तीन साल 39 दिन गुजारे पाक की जेल में

बरेलीMar 02, 2019 / 04:40 pm

jitendra verma

पाकिस्तान जेल में कितना अत्याचार होता है, इसका उदाहरण है यशपाल

बरेली। विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी के बाद देश भर में जश्न का माहौल है। भारतीय सेना के डर से पाकिस्तान ने विंग कमांडर को सही सलामत वापस कर दिया नहीं तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान दुश्मनी निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। इसी का जीता जागता उदहारण है फरीदपुर तहसील के पढेरा गाँव का रहने वाला यशपाल। यशपाल किसी तरह से बार्डर पार कर गया जिसके बाद उसे पाकिस्तान की जेल में बंद कर उस पर इतने अत्याचार हुए कि वो अपनी याददाश्त ही खो बैठा। पाकिस्तान में उस पर इतने जुल्म हुए कि वो अभी तक सामान्य नहीं हो पाया है।
मजदूरी करने गया था यशपाल
यशपाल 2009 में गांव के अन्य लोगों के साथ दिल्ली मज़दूरी करने गया था लेकिन मजदूरी न मिलने पर वो रिक्शा चलाने लगा और वो दिल्ली में किसी ट्रेन में गलती से बैठ गया और भटक कर पाकिस्तान के बॉर्डर पहुँच गया जिसके कारण सीमा उल्लंघन के चलते उसे पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में डाल दिया गया।जब इसकी जानकारी जागर संस्था के प्रदीप कुमार को हुई तो उन्होंने यशपाल को रिहा करने के लिए मुहिम शुरू की और यशपाल को तीन साल 39 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया और उसे 10 जुलाई 2013 को अटारी बॉर्डर पर भारतीय अफसरों को सौप दिया गया।
जेल में हुए जुल्म
2013 में यशपाल घर तो लौट आया पर उसकी याददाश्त न लौट सकी। उस पर पाकिस्तान की जेलों में इतने जुल्म ढाए गए कि उसकी याददाश्त चली गई उसे यह भी याद नहीं कि वह पाकिस्तान कैसे पंहुचा जब वह पाकिस्तान पहुंचा था तब उसका मानसिक संतुलन ठीक था, क्योंकि उसने जेल में अपना नाम-पता ठीक लिखाया था ।जिसके आधार पर ही उसकी वापसी हो सकी थी। यशपाल का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था जिसके कारण उसका बरेली के मानसिक अस्पताल में इलाज भी किया गया लेकिन अभी भी वो सामान्य नहीं हो पाया है। घर वालों का कहना है कि यशपाल जब वापस आया था तो उसके शरीर पर चोटों के काफी निशान थे।जो यह साफ बयां करते हैं कि उस पर किस तरह के जुल्म पाक की जेल में उस पर ढाए गए।

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