मजदूरी करने गया था यशपाल
यशपाल 2009 में गांव के अन्य लोगों के साथ दिल्ली मज़दूरी करने गया था लेकिन मजदूरी न मिलने पर वो रिक्शा चलाने लगा और वो दिल्ली में किसी ट्रेन में गलती से बैठ गया और भटक कर पाकिस्तान के बॉर्डर पहुँच गया जिसके कारण सीमा उल्लंघन के चलते उसे पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में डाल दिया गया।जब इसकी जानकारी जागर संस्था के प्रदीप कुमार को हुई तो उन्होंने यशपाल को रिहा करने के लिए मुहिम शुरू की और यशपाल को तीन साल 39 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया और उसे 10 जुलाई 2013 को अटारी बॉर्डर पर भारतीय अफसरों को सौप दिया गया।
यशपाल 2009 में गांव के अन्य लोगों के साथ दिल्ली मज़दूरी करने गया था लेकिन मजदूरी न मिलने पर वो रिक्शा चलाने लगा और वो दिल्ली में किसी ट्रेन में गलती से बैठ गया और भटक कर पाकिस्तान के बॉर्डर पहुँच गया जिसके कारण सीमा उल्लंघन के चलते उसे पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में डाल दिया गया।जब इसकी जानकारी जागर संस्था के प्रदीप कुमार को हुई तो उन्होंने यशपाल को रिहा करने के लिए मुहिम शुरू की और यशपाल को तीन साल 39 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया और उसे 10 जुलाई 2013 को अटारी बॉर्डर पर भारतीय अफसरों को सौप दिया गया।
जेल में हुए जुल्म
2013 में यशपाल घर तो लौट आया पर उसकी याददाश्त न लौट सकी। उस पर पाकिस्तान की जेलों में इतने जुल्म ढाए गए कि उसकी याददाश्त चली गई उसे यह भी याद नहीं कि वह पाकिस्तान कैसे पंहुचा जब वह पाकिस्तान पहुंचा था तब उसका मानसिक संतुलन ठीक था, क्योंकि उसने जेल में अपना नाम-पता ठीक लिखाया था ।जिसके आधार पर ही उसकी वापसी हो सकी थी। यशपाल का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था जिसके कारण उसका बरेली के मानसिक अस्पताल में इलाज भी किया गया लेकिन अभी भी वो सामान्य नहीं हो पाया है। घर वालों का कहना है कि यशपाल जब वापस आया था तो उसके शरीर पर चोटों के काफी निशान थे।जो यह साफ बयां करते हैं कि उस पर किस तरह के जुल्म पाक की जेल में उस पर ढाए गए।
2013 में यशपाल घर तो लौट आया पर उसकी याददाश्त न लौट सकी। उस पर पाकिस्तान की जेलों में इतने जुल्म ढाए गए कि उसकी याददाश्त चली गई उसे यह भी याद नहीं कि वह पाकिस्तान कैसे पंहुचा जब वह पाकिस्तान पहुंचा था तब उसका मानसिक संतुलन ठीक था, क्योंकि उसने जेल में अपना नाम-पता ठीक लिखाया था ।जिसके आधार पर ही उसकी वापसी हो सकी थी। यशपाल का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था जिसके कारण उसका बरेली के मानसिक अस्पताल में इलाज भी किया गया लेकिन अभी भी वो सामान्य नहीं हो पाया है। घर वालों का कहना है कि यशपाल जब वापस आया था तो उसके शरीर पर चोटों के काफी निशान थे।जो यह साफ बयां करते हैं कि उस पर किस तरह के जुल्म पाक की जेल में उस पर ढाए गए।