scriptजमीन पर कब्जा और घटिया कामों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है जल आकाश | Jal Akash has been blacklisted for land grab and shoddy work | Patrika News

जमीन पर कब्जा और घटिया कामों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है जल आकाश

locationबरेलीPublished: Jun 09, 2023 08:52:10 pm

Submitted by:

Avanish Pandey

बरेली। सेना को घटिया फेब्रिकेटेड शेल्टर्स सप्लाई करके विवादों में आई बरेली की कंपनी जल आकाश इन दिनों चर्चा में है। यह कंपनी कई साल पहले नगर निगम की आठ बीघा जमीन पर अनाधिकृत कब्जा करने के अलावा सड़क या नाली निर्माण के काम निर्धारित मानक के अनुरूप न करने की वजह से ब्लैक लिस्टेड भी हो चुकी है। इतना ही नहीं, कई साल पहले हरदोई की शाहबाद नगरपालिका में भी निर्माण के गुणवत्ताहीन काम करने की वजह से कंपनी को यहां भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था।

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बरेली से बाया हरदोई और लखनऊ तक विवादों में रही है कंपनी
फेब्रिकेटेड शेल्टर्स सप्लाई की जांच अंतिम दौर में पहुंची


आठ बीघा जमीन पर अवैध कब्जा
सेना की जम्मू कश्मीर यूनिट को घटिया गुणवत्ता के फेब्रिकेटेड शेल्टर्स सप्लाई करने के चलते विवादों में घिरी जल आकाश कंपनी का कार्यालय नदौसी परसाखेड़ा में बना है। लगभग आठ साल पहले कंपनी संचालक ने नदौसी में दिल्ली-रामपुर हाईवे पर नगर निगम की दो हजार वर्ग गज से अधिक जमीन पर अनाधिकृत कब्जा करके बाउंड्रीवाल खड़ी कर ली थी। इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपये थी। तत्कालीन नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह ने जब मामले की जांच शुरू कराई तो नगर निगम के पटल से जल आकाश के निर्माण या अवैध कब्जे से संबंधित फाइलें गायब पाई गईं। फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सपा सरकार में तत्कालीन नगर आयुक्त शीलधर सिंह यादव के कार्यकाल में मामले ने जोर पकड़ा तो उन्होंने जेसीबी भेजकर कंपनी की बाउंड्रीवाल ध्वस्त कराई। सरकारी जमीन को कंपनी संचालक के कब्जे से बमुश्किल मुक्त कराया जा सका। कंपनी के कारनामों की पूरी जांच फिर भी नहीं हो पाई।
दिग्गज नेता का मिला संरक्षण
नगर निगम में जल आकाश कंपनी को दिग्गज भाजपा नेता के इशारे पर ब्लैक लिस्टेड किया गया था। पूर्व महापौर का करीबी होना इसकी मुख्य वजह मानी गई। वर्ष 2017 में कुछ दिन तक कंपनी को नगर निगम से काम मिलने भी बंद हो गए। मगर, बाद में किसी ने बीच में मध्यस्थता करके दोनों के बीच समझौता कराया। उसमें यह तय हुआ कि कंपनी संचालक पूर्व निजी सचिव से अपने संबंध खत्म करेंगे। फिर भाजपा नेता और कंपनी के बीच सांठगांठ हो गई। उसके बाद कंपनी को नगर निगम और बीडीए में निर्माण के काम मिलने शुरू हो गए, जो अब तक जारी हैं।
दो फर्मों से चलता है खेल
जल आकाश कंपनी के मालिक की दो फर्में हैं। एक जल आकाश और दूसरी आदित्य इंजीकाम। सूत्रों के अनुसार जब एक फर्म ब्लैक लिस्टेड होती है तो जल आकाश के मालिक दूसरी फर्म पर काम ले लेते हैं। पूरा सरकारी सिस्टम भी कंपनी मालिक की चालबाजियों के आगे बेबश है। उदाहरण के लिए-जब नगर निगम ने वर्ष 2018 में जल आकाश को ब्लैक लिस्टेड किया तो संचालक हाईकोर्ट चले गए और वहां से उनको निर्धारित अवधि के लिए स्टे मिल गया। मगर, उसके बाद नगर निगम और बीडीए में कंपनी का गुणवत्ताहीन काम दोबारा पहले की तरह चलने लगा।
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