नगर निगम में जल आकाश कंपनी को दिग्गज भाजपा नेता के इशारे पर ब्लैक लिस्टेड किया गया था। पूर्व महापौर का करीबी होना इसकी मुख्य वजह मानी गई। वर्ष 2017 में कुछ दिन तक कंपनी को नगर निगम से काम मिलने भी बंद हो गए। मगर, बाद में किसी ने बीच में मध्यस्थता करके दोनों के बीच समझौता कराया। उसमें यह तय हुआ कि कंपनी संचालक पूर्व निजी सचिव से अपने संबंध खत्म करेंगे। फिर भाजपा नेता और कंपनी के बीच सांठगांठ हो गई। उसके बाद कंपनी को नगर निगम और बीडीए में निर्माण के काम मिलने शुरू हो गए, जो अब तक जारी हैं।
जल आकाश कंपनी के मालिक की दो फर्में हैं। एक जल आकाश और दूसरी आदित्य इंजीकाम। सूत्रों के अनुसार जब एक फर्म ब्लैक लिस्टेड होती है तो जल आकाश के मालिक दूसरी फर्म पर काम ले लेते हैं। पूरा सरकारी सिस्टम भी कंपनी मालिक की चालबाजियों के आगे बेबश है। उदाहरण के लिए-जब नगर निगम ने वर्ष 2018 में जल आकाश को ब्लैक लिस्टेड किया तो संचालक हाईकोर्ट चले गए और वहां से उनको निर्धारित अवधि के लिए स्टे मिल गया। मगर, उसके बाद नगर निगम और बीडीए में कंपनी का गुणवत्ताहीन काम दोबारा पहले की तरह चलने लगा।