scriptकरवाचौथ: सिद्ध योग में होंगे चन्द्र दर्शन, जानिए समय | karwa chauth 2017 chand timings Sidh yog and puja Vidhi | Patrika News

करवाचौथ: सिद्ध योग में होंगे चन्द्र दर्शन, जानिए समय

locationबरेलीPublished: Oct 07, 2017 12:01:20 pm

इस बार करवाचौथ पर सिद्ध योग है, इसी योग के दौरान चांद का दीदार होगा। जानिए, सिद्ध योग में चांद निकलने का समय।

Karwa Chauth
बरेली। पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत इस बार रविवार आठ अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिनें निर्जल व्रत रह कर चंद्र दर्शन के बाद व्रत का परायण करेंगी। सिद्ध योग में रात्रि 8:15 बजे के बाद चन्द्र दर्शन होंगे। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार रविवार को चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि सायं 04:58 बजे के बाद आरम्भ होगी। इस दिन भरणी नक्षत्र अपरान्ह 03:58 बजे तक रहेगा। उसके बाद कृर्तिका नक्षत्र आरम्भ होगा। इस दिन रात्रि 07:14 बजे के बाद सिद्ध योग आरम्भ होगा, इसमें चन्द्रोदय होगा, जोकि शुभ रहेगा। इस दिन चन्द्रमा रात्रि 09:29 बजे अपनी उच्च राशि वृष में विराजमान होंगे।
Balaji Jyotish Sansthan
पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत

इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं मंगल कामनाओं के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला होता है। भारतीय परम्परानुसार करवाचौथ का त्यौहार उस पवित्र बंधन का ***** है जो पति-पत्नी के बीच होता है। हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की उपमा दी गई है। नवविवाहिताएं विवाह के पहले वर्ष से ही ये व्रत प्रारम्भ करती हैं।
यह है मान्यता
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को चन्द्र देवता की पूजा के साथ-साथ शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। शिव-पार्वती पूजा का विधान इसलिए माना गया है कि जिस प्रकार शैल पुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखण्ड सौभाग्य प्राप्त किया है, वैसा ही उन्हें भी प्राप्त हो, वैसे भी गौरी का पूजन कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं गौरा देवी का पूजन करती हैं। महाभारत काल में पाण्डवों की रक्षा हेतु द्रोपदी ने यह व्रत किया था।
ऐसे करें पूजा

इस दिन व्रती स्त्रियों को प्रातःकाल स्नानादि के बाद पति, पुत्र-पौत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए। इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चन्द्रमा का पूजन करके अर्घ देकर ही जल, भोजन ग्रहण करना चाहिए। चन्द्रोदय के कुछ पूर्व एक पटले पर कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी से शिवजी, पार्वती जी, कार्तिकेय जी और चन्द्रमा की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर अथवा करवाचौथ के छपे चित्र लगाकर कर पटले के पास पानी से भरा लोटा और करवा रख कर करवाचौथ की कहानी सुनी जाती है, कहानी सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बना कर उस पर रोली से 13 बिन्दियां लगाई जाती हैं, हाथ पर गेहूं के 13 दाने लेकर कथा सुनी जाती है और चांद निकल आने पर उसे अर्घ देकर स्त्रियां भोजन करती हैं।
चन्द्र दर्शन के समय क्या करें

चन्द्रमा निकलने से पूर्व पूजा स्थल रंगोली से सजाया जाता है तथा एक करवा टोटीदार उरई की पांच या सात सींक डालकर रखा जाता है, करवा मिट्टी का होता है, यदि पहली बार चांदी या सोने के करवे से पूजा जाए तो हर बार उसी की पूजा होती है, फिर रात्रि में चन्द्रमा निकलने पर चन्द्र दर्शन कर अर्घ दिया जाता है। चन्द्रमा के चित्र पर निरन्तर धार छोड़ी जाती है तथा सुहाग और समृद्धि की कामनी की जाती है तथा पति व बुजुर्गाें के चरण स्पर्श कर बने हुये पकवान प्रसाद में चढ़ाये जाते हैं। व्रत पूर्ण होने पर उनका प्रसाद पाते हैं। गौरी माता सुहाग की देवी हैं, अतएव उनके द्वारा निर्दिष्ट यह व्रत कोटी-कोटी भारतीय सुहागवती महिलाओं का श्रद्धा का केन्द्र बिन्दु है। जिस वर्ष लड़की शादी होती है उस वर्ष उसके घर से 14 चीनी के करवों, बर्तनों, कपड़ों आदि के साथ बायना भी दिया जाता है।
उजमन
अन्य व्रतों के साथ इस करवाचैथ का उजमन किया जाता है, इसमें 13 सुहागनों को भोजन कराने के बाद उनके माथे पर बिन्दी लगाकर और सुहाग की वस्तुएं एवं दक्षिणा देकर विदा कर दिया जाता है।

ट्रेंडिंग वीडियो