यह भी पढ़ें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेषः सुहागनगरी की जिला जेल में “देवकी” के साथ बंद हैं “बाल गोपाल”, जानिए वजह 10 साल पहले बने राधा हर वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर वीरेंद्र कुमार सक्सेना राधा का रूप धारण करते है। वीरेंद्र कुमार सक्सेना भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में डूब कर ऐसा रूप धारण करते है कि हर कोई चकित रह जाता है। हाथों में खनकती चूड़ियां, पैरों में पायल, माथे पर बिंदिया और तन पर सोलह श्रृंगार धारण कर वो राधा का रूप धारण कर मन्दिरों में नृत्य करते हैं। वीरेंद्र सक्सेना ने बताया कि उन्होंने अपना सारा जीवन कान्हा को समर्पित कर दिया है। 10 साल पूर्व जब वो बरसाने गए थे तो इन्होंने वहां भले घरों के लोगों को राधा के भेष में नृत्य करते देखा। तभी से उन्हें कृष्ण की लगन लग गई और उन्होंने भी राधा का रूप धारण कर लिया।
यह भी पढ़ें Big Breaking: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मानसून के रौद्र रूप ने बढ़ाई परेशानी, भारी बारिश से रहें सावधान, भारी पड़ेंगे ये घंटे पूरा परिवार करता है सहयोग वीरेंद्र जब कृष्ण की भक्ति में भाव विभोर होकर मंदिरों में झूमते हैं तो भक्त आश्चर्यचकित हो जाते हैं। एक और जहाँ ये राधा कृष्ण की भक्ति में चूर हैं, वही इस पूरे कार्य में इनका पूरा परिवार साथ देता है, जिसमें बहू बेटियां यहाँ तक कि उनके पोते पोती भी उनका सहयोग करते है। वीरेंद्र कुमार की पत्नी गीता देवी ने बताया कि वो और उनका पूरा परिवार इनके राधा बनने में मदद करता है और इससे पूरे परिवार को खुशी होती है।
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Janmashtami 2018″ src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/08/31/rvc2_3353378-m.jpg”>उम्र पर भक्ति हावी कृष्ण नाम की भक्ति की ज्योति जिसके ह्रदय में जल जाती है वो खुद ही कृष्ण में रम जाना चाहता है और 83 सावन देख चुकी बरेली की इस राधा का जोश देख कर एक ओर जहाँ लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं, वही उम्र के इस पड़ाव पर भले ही वो ठीक से चल फिर नहीं सकते लेकिन पाव में घुंघरू बंधने के बाद ये कृष्ण की भक्ति में ऐसे ही चूर हो जाते है कि अपनी उम्र को पीछे छोड़ देते हैं।
Janmashtami 2018″ src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/08/31/rvc2_3353378-m.jpg”>उम्र पर भक्ति हावी कृष्ण नाम की भक्ति की ज्योति जिसके ह्रदय में जल जाती है वो खुद ही कृष्ण में रम जाना चाहता है और 83 सावन देख चुकी बरेली की इस राधा का जोश देख कर एक ओर जहाँ लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं, वही उम्र के इस पड़ाव पर भले ही वो ठीक से चल फिर नहीं सकते लेकिन पाव में घुंघरू बंधने के बाद ये कृष्ण की भक्ति में ऐसे ही चूर हो जाते है कि अपनी उम्र को पीछे छोड़ देते हैं।