बरेली

Lok sabha Election 2019 : ये सीट सात बार जीत चुकी भाजपा, अखिलेश के प्रत्याशी ने बढ़ाई मुश्किलें

बरेली लोकसभा से सात बार चुनाव जीत चुके है केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, इस बार सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी भगवतशरण गंगवार और कांग्रेस के प्रत्याशी प्रवीण एरन ने इस मुकाबले को बहुत दिलचस्प बना दिया है

बरेलीApr 01, 2019 / 05:38 pm

jitendra verma

Lok sabha Election 2019 : ये सीट सात बार जीत चुकी भाजपा, अखिलेश के प्रत्याशी ने बढ़ाई मुश्किलें

बरेली। सुर्मे और झुमके के लिए देश भर में पहचान बनाने वाले बरेली का देश की राजनीति में भी अहम योगदान है। बरेली लोकसभा सीट रुहेलखंड की वीआईपी सीट में से एक है और यहाँ पर मौजूदा समय में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार सांसद है। संतोष गंगवार इस सीट पर सात पर जीत हासिल कर चुके हैं और बीजेपी ने एक बार फिर उन्हे चुनाव मैदान में उतारा है। संतोष गंगवार का मुकाबला गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार और कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह एरन से होगा। समाजवादी पार्टी ने यहाँ से संतोष की बिरादरी के प्रत्याशी को उतार कर मुकाबला रोमांचक बना दिया है। अब इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
सात बार जीते संतोष गंगवार

पिछले करीब तीन दशक से बरेली लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का एक छत्र राज रहा है। यहां से सांसद संतोष गंगवार सात बार चुनाव जीत चुके हैं और इस समय केंद्र सरकार में मंत्री है। संतोष गंगवार यहाँ से सिर्फ एक बार 2009 में चुनाव हारे थे। बरेली क्षेत्र में संतोष गंगवार का राजनीतिक दबदबा है। 2019 में एक बार फिर बीजेपी को उम्मीद रहेगी कि संतोष गंगवार पार्टी के लिए यहां से कमल खिलाएं लेकिन नए बने राजनितिक समीकरण ने संतोष गंगवार की परेशानियां बढ़ा दी है। 2009 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भगवतशरण गंगवार को मैदान में उतार कर संतोष गंगवार का खेल बिगाड़ दिया था और कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन को जीत हासिल हुई थी। इस बार भी 2009 के चुनाव की तरह ही सपा से भगवतशरण गंगवार और कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन चुनाव मैदान में है।
कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक

बरेली लोकसभा सीट पर कुर्मी और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है। कुर्मी मतदाता संतोष गंगवार की असली ताकत माने जाते है। लेकिन इस बार के चुनाव में सपा ने भी कुर्मी प्रत्याशी उतार कर भाजपा को परेशानी में डाल दिया है। मुस्लिम मतदता भी इस सीट पर निर्णायक फैक्टर है और सभी दलों की कोशिश होगी ज्यादा से ज्यादा से मुस्लिम वोट उनके पाले में आए जिससे कि चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत हो।
प्रत्याशियों का प्रोफ़ाइल

संतोष गंगवार ने पहली बार लोकसभा का चुनाव 1989 में लड़ा था और वो तब से 2004 तक लगातार छह बार सांसद चुने गए। संतोष गंगवार को 2009 में हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें एक बार फिर बरेली की जनता से भारी अंतर् से चुनाव जिताया और संतोष गंगवार केंद्र सरकार में मंत्री बने।
कांग्रेस के प्रत्याशी प्रवीण सिंह एरन 1989 और 1993 में दो बार विधायक रह चुके है और मायावती सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। इसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने संतोष गंगवार का विजय रथ रोका लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने प्रवीण सिंह एरन पर भरोसा जताते हुए बरेली लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है।
सपा प्रत्याशी भगवतशरण गंगवार कुर्मी बिरादरी में अच्छी पकड़ रखते है और उन्हें सपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। भगवतशरण गंगवार नवाबगंज से पांच बार विधायक रह चुके है और प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री भी बन चुके है। इसके पहले भी इन्हे सपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने उन पर दांव लगाया है।
बरेली लोकसभा सीट का इतिहास

बरेली लोकसभा सीट पर अभी तक 16 बार बार चुनाव हुए हैं, इनमें से 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने बाजी मारी है। जिसमें से 6 बार तो लगातार जीत दर्ज की गई थी। 1952, 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। लेकिन 1962 और 1967 के चुनाव में यहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की। हालांकि, उसके बाद हुए तीन चुनाव में से दो बार कांग्रेस चुनाव जीती।1989 के चुनाव में यहां बीजेपी की ओर से संतोष गंगवार जीते, जिसके बाद तो उन्होंने इस क्षेत्र को अपना गढ़ बना लिया। 1989 से लेकर 2004 तक लगातार 6 बार संतोष गंगवार यहां से चुनाव जीते। हालांकि, 2009 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2014 में एक बार फिर वह बड़े अंतर से जीत कर लौटे।
बरेली लोकसभा के जातिगत आंकड़े

01 लाख ब्राह्मण

60 हजार वैश्य

80 हजार कायस्थ

70 हजार यादव

1.5 लाख एससी

01 लाख लोधी राजपूत

1.50 मौर्य
03 लाख कुर्मी

4.50 लाख मुस्लिम
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