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राहुल ने जारी की प्रत्याशियों की सूची, अखिलेश की बढ़ी धड़कन

locationबरेलीPublished: Mar 07, 2019 11:20:19 pm

Submitted by:

jitendra verma

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की

बरेली। आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने सभी दलों को पछाड़ते हुए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की है जिसमे 11 प्रत्याशी उत्तर प्रदेश से है जबकि चार प्रत्याशियों का कांग्रेस ने गुजरात से टिकट फाइनल किया है। कांग्रेस की सूची के बाद समाजवादी पार्टी की धड़कने तेज हो गई है क्योकि कांग्रेस ने बदायूं लोकसभा क्षेत्र से सलीम शेरवानी को प्रत्याशी घोषित किया है। यहाँ से अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव सांसद है।
बदायूं से पांच बार जीते सलीम शेरवानी

कांग्रेस ने बदायूं लोकसभा सीट से सलीम शेरवानी को प्रत्याशी बनाया है। सलीम शेरवानी बदायूं लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। सलीम शेरवानी राजीव गांधी के करीबी नेताओं में एक रहे हैं और वो केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके है। सलीम शेरवानी ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड कर यहाँ जीत हासिल की थी। लेकिन बाद में वो कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए जिसके बाद उन्होंने 1996 से 2004 तक लगातार समाजवादी पार्टी के टिकट पर बदायूं से चुनाव लड़ा और जीता। 2009 में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने उनका टिकट काट कर अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को टिकट दे दिया जिसके बाद सलीम शेरवानी एक बार फिर कांग्रेस में वापस लौटे और बदायूं से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में सलीम शेरवानी ने 26.29 प्रतिशत वोट हासिल किए और धर्मेंद्र यादव के लिए परेशानी खड़ी कर दी। 2009 के चुनाव में धर्मेंद्र यादव ने बसपा के डीपी यादव को 32542 वोटों से हरा कर जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में सलीम शेरवानी बदायूं की पड़ोसी सीट आंवला से चुनाव लड़े लेकिन यहाँ पर वो चौथे नंबर पर रहे थे जिसके बाद एक बार फिर सलीम शेरवानी ने बदायूं सीट का रुख किया है।
जितिन प्रसाद भी मैदान में

कांग्रेस की जारी सूची में जितिन प्रसाद को धौरहरा से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है।जितिन प्रसाद शाजहांपुर सीट से भी सांसद रह चुके है। लेकिन ये सीट सुरक्षित होने के बाद वो पडोसी सीट धौरहरा से चुनाव मैदान में उतरे और 2009 में जीत हासिल की लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर के कारण उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें यहाँ से प्रत्याशी बनाया है। जितिन प्रसाद का असर पड़ोसी सीट शाजहांपुर पर भी रहेगा क्योकि ये उनके परिवार की पारम्परिक सीट रही है और यहाँ से जितेंद्र प्रसाद चार बार और जितिन प्रसाद एक बार सांसद रह चुके है।

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