बरेली लोकसभा सीट 2014 के लोकसभा में इस सीट पर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी और संतोष गंगवार बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। संतोष गंगवार ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा के कुल वोटों से ज्यादा वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। इस बार के चुनाव में अभी किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। भाजपा से संतोष गंगवार और कांग्रेस से पूर्व सांसद प्रवीण सिंह एरन का चुनाव लड़ना तय है। गठबंधन के तहत ये सीट सपा के खाते में है और समाजवादी पार्टी से कई नेता चुनाव लड़ने का दावा ठोक रहे हैं। जिसमे इस्लाम साबिर, पूर्व मेयर आईएस तोमर, पूर्व मंत्री अताउर्रहमान का नाम प्रमुख है।
बदायूं सपा का मजबूत किला
बदायूं लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का मजबूत किला है। इस सीट पर 1996 से लगातार समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। भाजपा को यहाँ पर 1991 में जीत हासिल हुई थी। 2014 के चुनाव में सपा से धर्मेंद्र यादव ने यहाँ से बड़ी जीत हासिल की थी। धर्मेंद्र यादव को करीब 48 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में मोदी लहर के भरोसे चुनाव में उतरी बीजेपी का जादू यहां नहीं चला और उनके उम्मीदवार को सिर्फ 32 फीसदी ही वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से करीब 6200 वोट नोटा में गए थे। आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यहाँ पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अभी इस सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि भाजपा की तरफ से एक बार फिर वागीश पाठक ही चुनाव मैदान में होंगे। सपा यहाँ से सांसद धर्मेंद्र यादव को लड़ाने जा रही है तो कांग्रेस ने बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके सलीम शेरवानी को मैदान में उतारा है। सलीम शेरवानी के आने से इस सीट पर रोमांचक मुकाबले के आसार है।
बदायूं लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का मजबूत किला है। इस सीट पर 1996 से लगातार समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। भाजपा को यहाँ पर 1991 में जीत हासिल हुई थी। 2014 के चुनाव में सपा से धर्मेंद्र यादव ने यहाँ से बड़ी जीत हासिल की थी। धर्मेंद्र यादव को करीब 48 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में मोदी लहर के भरोसे चुनाव में उतरी बीजेपी का जादू यहां नहीं चला और उनके उम्मीदवार को सिर्फ 32 फीसदी ही वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से करीब 6200 वोट नोटा में गए थे। आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यहाँ पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अभी इस सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि भाजपा की तरफ से एक बार फिर वागीश पाठक ही चुनाव मैदान में होंगे। सपा यहाँ से सांसद धर्मेंद्र यादव को लड़ाने जा रही है तो कांग्रेस ने बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके सलीम शेरवानी को मैदान में उतारा है। सलीम शेरवानी के आने से इस सीट पर रोमांचक मुकाबले के आसार है।
यहाँ चलता है गांधी परिवार का सिक्का
उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा एक और लोकसभा सीट है जिसे गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। पीलीभीत लोकसभा सीट पर पिछले करीब तीन दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही राज रहा है। मेनका गांधी मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं और पीलीभीत से 6 बार सांसद चुनी जा चुकी हैं। एक बार फिर इस सीट पर सभी की नजर है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मेनका गांधी के प्रभाव और मोदी लहर का असर साफ देखने को मिला था। मेनका गांधी को 51 फीसदी से भी अधिक वोट मिले और उन्होंने एकतरफा जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में मेनका गांधी को 52.1 प्रतिशत और उनके विरोधी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 22.8 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2014 में इस सीट पर कुल 62.9 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव में यहाँ पर अभी तक किसी पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं घोषित किया है। भाजपा की तरफ से मेनका गांधी या वरुण गांधी इस सीट से चुनाव मैदान में होंगे। जबकि समाजवादी पार्टी की तरफ से कई दावेदारों के नाम चल रहे हैं जिसमे भगवतशरण गंगवार और हेमराज का नाम चर्चा में है।
उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा एक और लोकसभा सीट है जिसे गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। पीलीभीत लोकसभा सीट पर पिछले करीब तीन दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही राज रहा है। मेनका गांधी मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं और पीलीभीत से 6 बार सांसद चुनी जा चुकी हैं। एक बार फिर इस सीट पर सभी की नजर है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मेनका गांधी के प्रभाव और मोदी लहर का असर साफ देखने को मिला था। मेनका गांधी को 51 फीसदी से भी अधिक वोट मिले और उन्होंने एकतरफा जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में मेनका गांधी को 52.1 प्रतिशत और उनके विरोधी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 22.8 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2014 में इस सीट पर कुल 62.9 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव में यहाँ पर अभी तक किसी पार्टी ने अपना उम्मीदवार नहीं घोषित किया है। भाजपा की तरफ से मेनका गांधी या वरुण गांधी इस सीट से चुनाव मैदान में होंगे। जबकि समाजवादी पार्टी की तरफ से कई दावेदारों के नाम चल रहे हैं जिसमे भगवतशरण गंगवार और हेमराज का नाम चर्चा में है।
आंवला में होगी भाजपा की परीक्षा आंवला लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। अभी तक यहां हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 5 बार चुनाव जीती है। अब एक बार फिर बीजेपी के सामने 2019 में कमल खिलाने की चुनौती है।भाजपा के धर्मेंद्र कुमार कश्यप पिछले चुनाव में 40 फीसदी से अधिक वोट पाकर अव्वल रहे थे। रुहेलखंड का हिस्सा आंवला में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद मुकाबला और भी कड़ा हो गया है। यहाँ से अभी तक किसी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। भाजपा एक बार फिर धर्मेद्र कशयप पर दांव लगा सकती है। जबकि गठबंधन के तहत ये सीट बसपा के खाते में गई है। बसपा यहाँ से शिनोद शाक्य को चुनाव मैदान उतार सकती है जबकि कांग्रेस की तरफ से अभी कोई दावेदार सामने नहीं आया है।