बरेली

वरुण गांधी के तिलिस्म को तोड़ना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती, जानिए क्यों

पीलीभीत से मेनका गांधी छह बार तो वरुण गांधी एक बार चुनाव जीत चुके है।

बरेलीMar 27, 2019 / 01:08 pm

jitendra verma

पीलीभीत। रुहेलखण्ड की वीआईपी लोकसभा सीट पीलीभीत से भाजपा ने एक बार फिर वरुण गांधी को चुनाव मैदान में उतारा है। वरुण गांधी की मां और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी यहां से सांसद है। 1996 से ये सीट लगातार गांधी परिवार के पास ही रही है। यहाँ से मेनका गांधी छह बार तो वरुण गांधी एक बार चुनाव जीत चुके है। बीजेपी ने वरुण गांधी को यहाँ से चुनाव मैदान में उतार कर रुहेलखण्ड में हिंदुत्व के मुद्दे को धार दी है। 2009 के चुनाव में वरुण जब यहां से चुनाव लड़े थे तो उनके एक बयान से विवाद पैदा हो गया था और उन्हें जेल तक जाना पड़ा था।इस चुनाव में वरुण गांधी की छवि फायर ब्रांड हिन्दू नेता की बन गई थी और वरुण गांधी ने इस सीट को बड़े अंतर से जीता था। जबकि मां मेनका गांधी आंवला से सांसद चुनी गईं थी। पिछले चुनावी आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि वरुण गांधी के तिलिस्म को तोडना विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती है।
सभी विधानसभा पर भाजपा का कब्जा
रूहेला सरदार हाफिज रहमत खां की इस नगरी का नाम पीली दीवार होने के कारण पीलीभीत पड़ा। इसे सन 1879 में बरेली से अलग कर एक नया जिला बनाया गया था। मेनका गांधी यहां से छह बार सांसद रह चुकी है। पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के अंर्तगत बहेड़ी, बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत और पूरनपुर विधानसभा आती हैं इस सभी पर बीजेपी का कब्जा है।पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर अगर हम नजर डालें तो पता चलता है कि 2014 के लोकसभा आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका संजय गांधी 5,46934 मत पाकर पहले स्थान पर रहीं। उन्हें 32 फीसदी मत मिले। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी सपा के बुद्वसेन वर्मा को 2,39882 मत पाकर संतोष करना पड़ा। जबकि बसपा के दिग्गज नेता अनीस अहमद खां फूलबाबू को 1,96294 मत मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। इस तरह मेनका गांधी ने यहां परचम लहराया था।
छह बार जीतीं मेनका गांधी

पीलीभीत से मेनका गांधी ने पहली बार 1989 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता, लेकिन दो साल बाद राम लहर में हुए चुनाव में ही बीजेपी ने यहां जीत हासिल की। बीजेपी के डा. परशुराम गंगवार ने उन्हें हरा दिया। उसके बाद 1996 से 2004 तक मेनका गांधी ने लगातार चार बार यहां से चुनाव जीता। इनमें दो बार निर्दलीय और 2004 में बीजेपी के टिकट से जीत हासिल की थी। 2009 में मेनका गांधी ने अपने बेटे वरूण गांधी के लिए यह सीट छोड़ी और वरूण गांधी सांसद चुने गए। लेकिन 2014 में वे एक बार फिर यहां वापस आईं और छठी बार यहां से सांसद चुनी गई।
गांधी परिवार का गढ़ बना पीलीभीत

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में हिन्दू मतदाताओं के साथ ही 30 फीसदी मुस्लिम वोटर भी हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। 2017 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर अगर नजर डालें तो इन पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के ही विधायक जीते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मेनका गांधी के प्रभाव और मोदी लहर का असर साफ देखने को मिला था। मेनका गांधी को 51 फीसदी से भी अधिक वोट मिले थे और उन्होंने एक-तरफा जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में मेनका गांधी को 52.1 प्रतिशत और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा उम्मीदवार को 22.8 प्रतिशत ही मत मिले थे। 2014 में इस सीट पर कुल 62.9 फीसदी ही मतदान हुआ था।

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