रजवी ने दावा किया कि वो आजम को 30 साल से जानते हैं। उन्होंने कहा, “आजम विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव वोटिंग के कुछ दिन पहले गलियों और गांवों में जाकर आंसू बहाने लगते हैं।”
रजवी ने कहा, “आजम रोते हुए अपनी जेब से रूमाल निकलते हैं फिर अचानक अपना चश्मा उतार देते हैं। रूमाल से अपनी दोनों आंखें पोंछ लेते हैं। ये देखकर नए लोग तो हैरान रह जाते हैं, लेकिन पुराने लोग उनकी हरकतों को अच्छे से समझते हैं।”
ऐसी हरकतें आजम को शोभा नहीं देती: मौलाना रजवी
मौलाना शहाबुद्दीन ने आगे कहा,”अब ऐसी बातें और हरकतें आजम खान जैसे नेता को शोभा नहीं देती हैं। वे यूपी में सपा के दिग्गज नेता हैं। अब जनता की सोच और समझ बदल चुकी है। इस कारण अब आजम खान की ऐसे हरकतों से जनता पर कोई असर नहीं पड़ता है। “
मौलाना शहाबुद्दीन ने आगे कहा,”अब ऐसी बातें और हरकतें आजम खान जैसे नेता को शोभा नहीं देती हैं। वे यूपी में सपा के दिग्गज नेता हैं। अब जनता की सोच और समझ बदल चुकी है। इस कारण अब आजम खान की ऐसे हरकतों से जनता पर कोई असर नहीं पड़ता है। “
आजम को पीड़ित लोगों से माफी मांगनी चाहिए: मौलाना शहाबुद्दीन
मौलाना शहाबुद्दीन ने आजम को सलाह दी है कि उन्हें राजनीति की बजाय खुदा की इबादत करनी चाहिए। उनके साथ आज जो कुछ हो रहा है, वो उनके कर्मों का ही नतीजा है। इसलिए उन्हें मस्जिद में जाकर पूरे पांच वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए।
मौलाना शहाबुद्दीन ने आजम को सलाह दी है कि उन्हें राजनीति की बजाय खुदा की इबादत करनी चाहिए। उनके साथ आज जो कुछ हो रहा है, वो उनके कर्मों का ही नतीजा है। इसलिए उन्हें मस्जिद में जाकर पूरे पांच वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए।
रजवी ने कहा कि बेहतर होगा कि आजम किसी दरगाह पर जाकर साहिबे मजार के जरिये खुदा की वारगाह में तौबा करें। जिन लोगों को आपने प्रताड़ित किया है उनके घर जाइए और उनसे माफी मांगिए। मुझे उम्मीद है कि अल्लाह उन्हें माफ कर देंगे।
मौलाना शहाबुद्दीन हुए आजम पर आग-बबूला
मौलाना रजवी ने कहा कि मुस्लिम शासन के आखिर दौर से लेकर ब्रिटिश काल तक और साल 2000 तक मदरसा आलिया में रूसी शहरों समरकंद और बुखारा के अलावा अफगानिस्तान, अरब और यूरोप और अफ्रीका के देशों के छात्र पढ़ने आते थे।
मौलाना रजवी ने कहा कि मुस्लिम शासन के आखिर दौर से लेकर ब्रिटिश काल तक और साल 2000 तक मदरसा आलिया में रूसी शहरों समरकंद और बुखारा के अलावा अफगानिस्तान, अरब और यूरोप और अफ्रीका के देशों के छात्र पढ़ने आते थे।
मदरसा का पुस्तकालय बेहद खास था जिसमें नादिर और नायब जैसे शायर पाठकों के लिए मुख्य आकर्षण हुआ करते थे। हालांकि अफसोस की बात ये है कि आजम खान के मंत्री रहते मदरसा आलिया और उसका कुतुबखाना नष्ट कर दिया गया। मैंने उसकी तबाही को अपनी आंखों से देखा है। उस समय आजम खां के आतंक और उसके डर के मारे उलेमा और मुस्लिम खामोश रहे।
अखिलेश को रामपुर आने की नौबत क्यों पड़ी?
मौलाना रजवी ने सवाल किया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को रामपुर आने की जरूरत क्यों पड़ी। जब 27 महीने तक आजम जेल में बंद थे वो न रामपुर आए और न ही सीतापुर जेल पहुंचे थे। जबकि उस समय आजम खान को अखिलेश यादव के साथ की सख्त जरूरत थी।
मौलाना रजवी ने सवाल किया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को रामपुर आने की जरूरत क्यों पड़ी। जब 27 महीने तक आजम जेल में बंद थे वो न रामपुर आए और न ही सीतापुर जेल पहुंचे थे। जबकि उस समय आजम खान को अखिलेश यादव के साथ की सख्त जरूरत थी।
रजवी ने कहा कि जब अखिलेश मुस्लिम नेताओं के साथ खड़े नहीं हो सकते तो उन्हें मुस्लिम समाज से वोट मांगने का कोई अधिकार नहीं है। मौलाना रजवी ने रामपुर की जनता से अपील की और कहा कि वे विवेक के आधार पर अपने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग करें। रामपुर के वोटर्स को किसी से डरने की जरूरत नहीं है।