कार्रवाई की शुरुआत
सेलेक्शन पॉइंट और सुरेश शर्मा क्षेत्र में दो अवैध यूनिपोल हटाए गए। अन्य क्षेत्रों में भी अवैध और मानक विहीन विज्ञापन ढांचों की पहचान कर कार्रवाई करने की योजना बनाई गई। राजस्व निरीक्षक सच्चिदानंद सिंह ने बताया कि पीलीभीत बाइपास रोड, मिनी बाइपास, और रेलवे जंक्शन इज्जतनगर क्षेत्र में अब तक 14 अवैध यूनिपोल चिह्नित किए गए हैं। ये विज्ञापन बिना अनुमति के विभिन्न एजेंसियों द्वारा लगाए गए थे। नगर आयुक्त के निर्देश पर अब इस पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
विज्ञापन विभाग की जवाबदेही
शहर में अवैध यूनिपोल और रूफटॉप्स के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए विज्ञापन विभाग ने राजस्व निरीक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि, अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत के चलते शहर में इनकी संख्या बढ़ रही है।
एजेंसी की देरी और वित्तीय गड़बड़ी
नगर निगम ने विज्ञापन का ठेका एडटेक कंपनी को दिया था। विज्ञापन प्रभारी राजवीर सिंह ने बताया कि एजेंसी को 30 नवंबर तक 4 करोड़ रुपये जमा करने थे, लेकिन केवल 1.50 करोड़ रुपये ही जमा किए गए। साथ ही, एजेंसी ने शिकायत की थी कि कई जगहों पर अवैध यूनिपोल और रूफटॉप्स लगाए गए हैं। इस पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
शहर में अवैध विज्ञापन की स्थिति
विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में 40 से अधिक अवैध यूनिपोल, 100 से ज्यादा रूफटॉप्स, और कई अन्य अनधिकृत विज्ञापन ढांचे मौजूद हैं। ये हर महीने नगर निगम को लाखों रुपये के राजस्व से वंचित कर रहे हैं।
विज्ञापन ढांचों का वार्षिक किराया
यूनिपोल: ₹1,30,200 कैंटीलीवर: ₹70,000 सिंगल पोल: ₹42,000 स्वागत द्वार: ₹2,44,000 रूफटॉप (40×20 फीट): ₹1,66,000 अधिकृत ढांचे की संख्या यूनिपोल: 211 कैंटीलीवर: 60 सिंगल पोल: 129 स्वागत द्वार: 16 कियोस्क: 360
क्या कहते हैं नियम?
अवैध यूनिपोल और रूफटॉप्स लगाने के लिए विकास प्राधिकरण से एनओसी और स्ट्रक्चरल इंजीनियरों से सत्यापित रिपोर्ट जरूरी है। हालांकि, अधिकांश विज्ञापन एजेंसियों के पास ये अनुमति नहीं है।