फैलती रही बीमारी हाथ पर हाथ रखे बैठा रहा प्रशासन बुखार के शुरुआती दौर में स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर लापरवाही बरती लेकिन जब बुखार से मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ने लगा तो प्रशासन से लेकर सरकार तक में हड़कम्प मच गया। शुरुआती दौर में सीएमओ डॉक्टर विनीत शुक्ला तो बीमारी का नाम भी नही बता पाए बस जांच कर रहे है कह कर अपना पल्ला झाड़ते रहे लेकिन जब स्थिति बिगड़ी तो सरकार ने लखनऊ से टीम भेजी जिसने यहां पर टीम ने रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट से जांच शुरू की।इस किट की मदद से मौके पर ही मलेरिया का प्रकार पता चल जाता है। जिले में 50 हजार किट उपलब्ध कराई गईं है। इन किट को जिले की सभी सरकारी अस्पतालों में भेजा गया है। जिले में इस समय 95 टीम इस बीमारी के रोकथाम के लिए लगाई गई है। साथ ही 12 नोडल अफसर बनाए गए है जिसमें सात राज्य स्तर के डाक्टर और पांच डॉक्टर जिले के शामिल किए गए है।अब तक 6421 लोगों की जांच इस किट से हो चुकी है।
रुक नहीं रहा मौतों का सिलसिला जिले में लगातार हो रही बुखार से मौत के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी बरेली का दौरा किया और अफसरों को हालात में सुधार लाने के निर्देश दिए बावजूद इसके जिले में बुखार से मरने वालों की संख्या कम नही हो पा रही है। शुक्रवार को 11 और मरीजों ने दम तोड़ दिया।