हाईकोर्ट ने भी दिए आदेश बताते चलें कि 2013 में तत्कालीन सरकार ने पुलिस में 41 हजार 610 पदोंं पर आवेदन मांगे थे। इसमें 22 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। प्रारंभिक लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा व मुख्य लिखि परीक्षा में पास 55 हजार अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षण के लिए बुलाया गया। इनमें से 38 हजार 315 अभ्यर्थियों को अंतिम चयन के बाद 16 जुलाई 2015 को ट्रेनिंग पर भेज दिया गया था। शेष पदों को अग्रसारित कर दिया गया। इसके विरोध में कुछ अभ्यर्थी होईकोर्ट चले गए। वहां से उपेंद्र तोमर आदि के मामले में हाईकोर्ट ने इन अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति देने के आदेश दिए।
दिया ज्ञापन यूपी पुलिस बोर्ड ने 13 अगस्त 2018 में 8678 अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षा के लिए बुलाया। इसके पहले भी 6786 अभ्यर्थी पास हुए थे । इसके बावजूद अभी तक मेडिकल परीक्षण में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है। इस मामले में वे कई बार मुख्यमंत्री, गृहसचिव व यूपी भर्ती बोर्ड के चेयरमैन से भी मिल चुके हैं। अभ्यर्थियों ने बताया कि मेडिकल परीक्षण तत्कालीन चेयरमैन जीपी शर्मा के कार्यकाल में कराया गया था, जो दिसंबर 2018 में रिटायर हो गए।अब मौजूद चेयरमैन कहते हैं कि जिन्होंने मेडिकल कराया है, वे नियुक्ति देंगे। इससे अभ्यर्थी टेंशन में हैं। जल्द नियुक्ति प्रदान न किए जाने पर उन्होंने इच्छा मृत्यु की मांग की है।अभ्यर्थियों ने राष्ट्रपति से लेकर सीजेएम, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री व मानवाधिकार आयोग को भी ज्ञापन की प्रतिलिपि भेजी है।
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