लोगों के सम्पर्क में आने वालों की जांच पहले जिलाधिकारी का कहना है कि वह उन लोगों की जांच सबसे पहले कराना चाहते हैं जो प्रतिदिन कई कई लोगों के सम्पर्क में आते हैं। मसलन सब्जी विक्रेता, दवाई विक्रेता और किराना के दुकानदार। आवश्यक सेवाओं में लगे इन लोगों के आस पास मोबाइल वैन ने जा जा कर स्वयं रैंडम सैम्पलिंग की शुरुआत कर दी है। इस प्रकार की रैंडम मोबाइल सैम्पलिंग की शुरुआत उत्तर प्रदेश में अभी तक केवल बरेली में ही हुई है। जिलाधिकारी ने बताया कि बरेली की सभी 1193 ग्राम पंचायतों और नगर निगम के 80 वार्डों में मोबाइल वैन यूनिट सैम्पलिंग लेने का काम शुरु कर चुकी हैं। चूंकि आईवीआरआई में टेस्ट की सुविधा शुरु हो गई है तो उसी दिन रिपोर्ट भी आ जाती है।उनके अनुसा रैंडम पूल सैम्पलिंग में किस व्यक्ति का सैम्पल लिया जाएगा और किसका नहीं, यह मेडिकल टीम तय करती है। इसके लिए पूल ए और पूल बी टीमें तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कोरोना टेस्ट के लिए अस्पताल जाने की आवश्यकता न पड़े, यही उनकी कोशिश है।
कोरोना संदिग्ध की पहचान होगी आसान गौरतलब है बरेली में 6 कोरोना के मरीज़ स्वस्थ हो चुके हैं और वर्तमान में कोई भी कोरोना का मरीज़ बरेली में नहीं है। जिलाधिकारी बताते हैं कि इस प्रक्रिया से किसी भी क्षेत्र में कोरोना के संदिग्ध मरीज की पहचान असान हो जाएगी। उनके अनुसार पहले चरण में बरेली में 15-16 हजार लोगों की ट्रैकिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उनके अनुसार बाहर से आने वाले और उनके सम्पर्क में आने वाले और फिर सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति के सम्पर्क में आने वाले लोगों को इसी पद्धति से ट्रैक कर लिया जाएगा । इस पद्धति से टेस्ट करने पर कम्युनिटी स्प्रेड की आशंका के लक्षण को समय से पहले ही पहचानने में सहूलियत हो सकती है। उन्होंने बताया कि किराना, दवा, सब्जी के दुकानदारों के अलावा मोबाइल वैन यूनिट संवेदनशील समूहों के सैम्पल भी ले रही है। बरेली के कोरोना संक्रमित सुभाष नगर के अलावा उन क्षेत्रों में जहां पर आवश्यक सेवाओं के सामान की आवाजाही होती है, वहां पर मोबाइल वैन यूनिट विशेष ध्यान दे रही हैं। यह कार्य समान रूप से ग्रमीण और शहरी क्षेत्रों में शुरु किया गया है।