डिप्रेशन से बाहर निकाला लाइफ आर्ट एक्सपर्ट विशेष कुमार हीलिंग साइंस, एनर्जी साइंस, योग, मेडिटेशन से अब तक सैकड़ों लोगों को डिप्रेशन से बाहर ला चुके हैं। जो अब खुशनुमा जिंदगी जी रहे हैं। पत्रिका से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि शरीर के मौजूदा सातों चक्रों के लिए अलग-अलग योगासन हैं यदि खानपान के साथ इन योगासनों पर ध्यान दिया जाए तो व्यक्ति अपने सातों चक्रों को योग के माध्यम से ही हील कर सकता है।
चक्र का महत्त्व सबसे पहला चक्र मूलाधार चक्र है जिसके लिए वृक्षासन है इसका रंग लाल होता है मन की चंचलता,तनाव को दूर करता है चिंता भय से मुक्त करता है। व्यक्ति की कुण्डलनी भी इसी चक्र में विराजमान होती है।
दूसरा स्वाधिष्ठान चक्र जिसके लिए उत्कट कोणासन है, जिसको देवी मुद्रा भी कहते हैं। जिसका रंग नारंगी होता है, इसको करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। घुटने कूल्हे व पीठ की तकलीफों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
तीसरा चक्र मणिपुर चक्र होता है, जिसका रंग पीला होता है, जिसके लिए वीरभद्रासन है, इस आसन से आत्मविश्वास बनता है पैरों को मजबूती प्रदान करता है व फेफड़ों के लिए विशेष लाभकारी होता है।
चौथा चक्र हृदय चक्र है जिसका रंग हरा है, इसके लिए उष्ट्रासन है, उष्ट्रासन से पाचन शक्ति मजबूत होती है व रीढ की हड्डी को लचीला बनाती है व साथ ही साथ ह्रदय के लिए भी बेहद लाभकारी होता है।
पांचवा चक्र विशुद्धि चक्र है जिसका रंग हल्का आसमानी होता है, इसके लिए सर्वांगासन है। इससे पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है इस आसन को सभी आसनो की मां भी कहा जाता है। इसको करके व्यक्ति हर्ष और उल्लास से भर जाता है।
छटा चक्र आज्ञा चक्र है जिसमें गुरुतत्व व शिव तत्व होता है। जिसका रंग गहरा नीला होता है जिसके लिए पर्वतासन होता है इसको करने से कंधे के दर्द, फेफड़े सम्बन्धी व रक्त विकार सम्बंधि दिक्कतो में फायदा मिलता है साथ ही साथ तनाव कम कर निर्णयन क्षमता बढ़ती है।
सांतवा आखिरी चक्र सहस्त्रात चक्र होता है जो परम आनंद का केंद्र भी है जिसका रंग बैगनी होता है जिसके लिए शीर्षासन है जिसको करने सिरदर्द, माइग्रेन, डायबटीज में काफी फायदा मिलता है साथ ही साथ बाल झड़ने से रोकता है और चेहरे पर चमक लाता है।
एक्सपर्ट से सीखें आसन उन्होंने पत्रिका को ये भी बताया कि सभी आसनों को योग प्रशिक्षक के संरक्षण में सीखकर ही अभ्यास करना चाहिए। योग का चक्रों पर खासा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भौतिक जगत में उन्नति करने के लिए नीचे के तीनों चक्रों का सही होना आवश्यक है और आध्यात्मिक जीवन में उन्नति के लिए ऊपर के तीनों चक्रों का सही होना आवश्यक है। योग के माध्यम से व्यक्ति का औरा अर्थात आभामंडल भी सकारात्मक हो उठता है।