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प्राइमरी के मास्टर ने बनाया ऐसा बैंक जो प्रदेश भर में बना नजीर

locationबरेलीPublished: Dec 24, 2018 03:38:49 pm

Submitted by:

jitendra verma

स्कूल बैंक के माध्यम से बच्चे सीख रहे बैंकिंग

Primary school teacher establishes special bank motivational story

प्राइमरी के मास्टर ने बनाया ऐसा बैंक जो प्रदेश भर में बना नजीर

बरेली। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूल में तैनात एक अध्यापक ने स्कूली बच्चों की जरूरतों को देखते हुए स्कूल बैंक की शुरुआत की है। इस अनोखे बैंक के माध्यम से न सिर्फ जरूरतमंद छात्रों को पढ़ाई के लिए जरूरी समान मिल जाता है बल्कि वो स्कूल बैंक के माध्यम से बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं। भोजीपुरा ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल पिपरिया के अध्यापक शौरभ शुक्ला ने इस बैंक की शुरुआत की है। स्कूल बैंक की ख़ास बात यह है कि इस बैंक का संचालन पूरी तरह से ही छात्रों द्वारा किया जा रहा है जिसके कारण छात्र बैंकिंग के गुण भी सीख रहे हैं।
Primary school teacher establishes special <a  href=
bank motivational story” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/12/24/schoo_bank_3880265-m.jpg”>अन्य जगहों पर भी खुले स्कूल बैंक

रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे सौरभ शुक्ला ने तीन साल पहले पिपरिया स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर ज्वाइन किया था। स्कूल में बच्चों को छोटी छोटी चीजों के परेशान होते देख उन्हें स्कूल बैंक का आइडिया आया और उन्होंने स्कूल की प्रिंसपल की मदद से स्कूल में बच्चों की जरूरत के लिए बैंक की स्थापना की। इस स्कूल बैंक में गरीब बच्चों के लिए किताबों, पेंसिल, रबड़, कटर, कॉपिया, क्राफ्ट का सामान आदि की व्यवस्था की गई है। सौरभ बताते है कि स्कूल बैंक से स्कूलमें छात्रों की सहभागिता और उपस्थिति बढ़ी है। छात्रों में अनुशासन, जिम्मेदारी, स्वावलंबन आदि मानवीय मूल्यों का भी विकास हो रहा है। सौरभ शुक्ला के इस स्कूल बैंक के कांसेप्ट को अन्य स्कूल भी अपना रहे हैं। भोजीपुरा ब्लॉक के पांच स्कूलों के अलावा गोंडा जिले के भी दो स्कूलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है।
Primary school teacher establishes special bank motivational story
छात्रों द्वारा होता है संचालन

सौरभ शुक्ला ने बताया कि ग्रामीण परिवेश के बेसिक स्कूल में अक्सर छात्र अपनी पेन्सिल, पेन, रबर, स्केल, शार्पनर इत्यादि घर भूल आते हैं या फिर ये वस्तुएं उनके पास नहीं होती हैं। जिसके अभाव में उनकी पढ़ाई बाधित होती है। इस समस्या का समाधान खुद छात्रों द्वारा ही कराने के लिए स्कूल बैंक की स्थापना की गई। इसके लिए निर्णय लिया गया कि स्कूल बैंक को छात्रों के लिए, छात्रों द्वारा ही संचालित किया जाएगा तथा स्कूल बैंक के लिए वस्तुओं का क्रय, छात्रों द्वारा अपने जेबखर्च से रुपए बचाकर 2 रूपये प्रति छात्र की दर से एकत्रित हुए धन से किया जाएगा। शिक्षक भी स्कूल बैंक के लिए सहयोग देते है।
Primary school teacher establishes special bank motivational story
स्कूल बैंक के नियम

1. किसी भी कक्षा का छात्र स्कूल बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकता है।

2. छात्रों को किसी वस्तु की जरूरत होने पर, वह वस्तु बैंक से 0% ब्याज पर एक दिन के ऋण (loan) के रूप में छात्रों को दी जाएगी।
3. छुट्टी हो जाने पर स्कूल बन्द होने से पहले छात्रों को उस वस्तु को बैंक में पुनः जमा कराना होगा।

4. छात्र द्वारा वस्तु खो जाने पर 30 दिनों के अंदर अपनी सहूलियत के अनुसार कभी भी उसे बैंक में जमा करा सकते हैं।
(गरीब बच्चों के लिए ऋण में छूट का प्रावधान होगा।)

5. किसी भी छात्र को लगातार 2 दिन ऋण नहीं दिया जा सकेगा।

6. एक छात्र के लिए ऋण लेने की सीमा एक सप्ताह में अधिकतम 2 बार तथा एक माह में अधिकतम 7 बार होगी।
7. स्कूल बैंक के लिए ‘कक्षा मैनेजर’ का चयन कक्षावार प्रत्येक कक्षा के नियमित छात्रों में से किया जाएगा।

8. ‘स्कूल बैंक मैनेजर’ का चयन स्कूल के होनहार छात्रों में से किया जाएगा, जो कक्षा मैनेजरों का नेतृत्व करेगा।
8. स्कूल बैंक से छात्रों को दी गई वस्तुओं का विवरण रजिस्टर में मैनेजर द्वारा अंकित किया जाएगा।

9. प्रत्येक माह के अंत में कक्षाध्यापक द्वारा रजिस्टर से स्टॉक का निरीक्षण व मिलान किया जाएगा।
10. स्कूल बैंक के लिए ‘ग्रीन काउंटर’ प्रधानाध्यापक कक्ष में स्थापित किया जाएगा।

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