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टनकपुर हादसा- एक ही चिता पर जले पिता-पुत्र के शव, गांव में पसरा मातम, नहीं जला घरों में चूल्हा

locationबरेलीPublished: May 19, 2018 12:16:20 pm

Submitted by:

suchita mishra

पूर्णागिरी दर्शन को जा रहे श्रद्धालुओं में मरने वाले आठ लोग नवाबगंज तहसील के बुखारपुर गांव के हैं। इस पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है।

tanakpur hadsa

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बरेली। शुक्रवार को टनकपुर में हुए भीषण सड़क हादसे में पूर्णागिरि दर्शन को जा रहे 11 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में सभी बरेली के रहने वाले थे जिनमें नवाबगंज तहसील के बुखारपुर गांव के आठ लोग शामिल हैं। एक ही गांव के आठ लोगों की मौत के बाद गांव में मातम पसर गया। किसी ने अपना बेटा खो दिया तो किसी के सर से पिता का साया उठ गया। पोस्टमार्टम के बाद सभी शवों को गांव लाया गया जहां पर आठों का अंतिम संस्कार किया गया। सड़क हादसे में जान गवाने वाले माखनलाल और उनके बेटे को एक साथ चिता पर लिटाया गया और माखनलाल के छोटे बेटे आजाद ने अपने पिता और भाई को मुखाग्नि दी। वहीं माखनलाल के एक अन्य बेटे बाबू का शव देर से गांव पहुंचा उसका बाद में अंतिम संस्कार किया गया।
नहीं जला चूल्हा
गांव में एक साथ हुई आठ मौतों के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। गांव वालों के ऊपर गम का पहाड़ इस कदर टूटा है कि किसी के घर में चूल्हा नहीं जला। देर शाम सात शव गांव पहुंचे, सभी शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान पूरे गांव में मातम पसरा रहा। दर्दनाक घटना के बाद पूरे गांव में कोहराम मचा हुआ है। किसी का बेटा, किसी का पति, किसी का भाई इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठा है।
मुख्यमंत्री ने जताया दुख
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताया है और मुआवजे का एलान किया है। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता के तौर पर दो -दो लाख रूपये और घायलों को 50-50 हजार के मुआवजे की घोषणा की है।
विधायक और प्रशासनिक अमला पहुंचा गांव
हादसे की सूचना पर नवाबगंज के विधायक केसर सिंह के साथ ही जिलाधिकारी वीरेंद्र सिंह, एसएसपी कलानिधि नैथानी के साथ प्रशासनिक अमला गांव पहुंचा और ग्रामीणों को सांत्वना दी। विधायक और प्रशासनिक अफसरों ने पीड़ितों को हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया है। वहीं हादसे में जान गंवाने वाले बहेड़ी के लोगों के यहां बहेड़ी विधायक छत्रपाल पहुंचे और उन्होंने पीड़ित परिवारों को सहायता राशि के चेक सौंपे।
आठ साल पहले शुरू हुई थी परम्परा
पूर्णागिरि के लिए जत्था जाने की परम्परा आठ साल पहले गांव के ही रामस्वरूप ने शुरू की थी पहली बार सात से आठ लोग पूर्णागिरि दर्शन को गए थे, जिसके बाद साल दर साल लोग इसमें शामिल होते गए और जत्था 250 से 300 लोगों का हो गया।
डम्पर से कुचल कर हुई मौत
पूर्णागिरि दर्शन को जा रहे श्रद्धालुओं के जत्थे को शुक्रवार सुबह डम्पर ने कुचल दिया था जिसके कारण नौ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस हादसे में 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए जिनमें नौ की हालत गंभीर बनी हुई है।
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