आठवीं बार बने सांसद 1981 और 1985 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद 1989 में संतोष गंगवार की लोकसभा विजय का जो सफर शुरू हुआ वो लगातार छह जीत के बाद 2009 में ठहरा तो लेकिन 2014 में सातवीं बार जीत कर संतोष गंगवार ने यह साबित किया कि उन्हें कम आंकना सही नहीं है। अब एक और जीत के साथ आठवीं बार लोकसभा में पहुंचे संतोष गंगवार लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हो गये। मोदी सरकार में कपड़ा, वित्त के बाद श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय संभाल रहे संतोष गंगवार इससे पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पेट्रोलियम राज्यमंत्री, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी और अटल बिहारी की सरकार में उनके पास संसदीय कार्य राज्यमंत्री का कार्यभार भी रहा।
बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय
अपनी बेदाग छवि के कारण वो संघ नेतृत्व के भी पसंदीदा हैं तो भाजपा हाईकमान के भी। एक बार तो उनका नाम यूपी के मुख्यमंत्री के लिए भी चर्चा में रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकताी है कि मोदी ने उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की जिम्मेदारी खास तौर पर दे रखी है। इस बार इनका नाम कैबिनेट मंत्री के लिए तो मजबूत है ही वहीं उनका नाम एका एक लोकसभा अध्यक्ष के लिए भी चर्चा में आया है। लोकसभा की वर्तमान अध्यक्ष सुमित्रा महाजन इस बार चुनाव नहीं लड़ी हैं। संतोष गंगवार के लंबे संसदीय अनुभव, संसदीय राज्य मंत्री के कार्यकाल के साथ ही उनके सरल स्वभाव के कारण उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाने से भाजपा को लोकसभा के संचालन में फायदा मिलना तय है। किसी कारणवश वो लोकसभा अध्यक्ष नहीं बनाये गये तो इस बार उनका कैबिनेट मंत्री बनना तय है।
अपनी बेदाग छवि के कारण वो संघ नेतृत्व के भी पसंदीदा हैं तो भाजपा हाईकमान के भी। एक बार तो उनका नाम यूपी के मुख्यमंत्री के लिए भी चर्चा में रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकताी है कि मोदी ने उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की जिम्मेदारी खास तौर पर दे रखी है। इस बार इनका नाम कैबिनेट मंत्री के लिए तो मजबूत है ही वहीं उनका नाम एका एक लोकसभा अध्यक्ष के लिए भी चर्चा में आया है। लोकसभा की वर्तमान अध्यक्ष सुमित्रा महाजन इस बार चुनाव नहीं लड़ी हैं। संतोष गंगवार के लंबे संसदीय अनुभव, संसदीय राज्य मंत्री के कार्यकाल के साथ ही उनके सरल स्वभाव के कारण उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाने से भाजपा को लोकसभा के संचालन में फायदा मिलना तय है। किसी कारणवश वो लोकसभा अध्यक्ष नहीं बनाये गये तो इस बार उनका कैबिनेट मंत्री बनना तय है।
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